उदित वाणी, सरायकेला: जिला प्रशासन, सरायकेला-खरसावां ने बुधवार, 27 नवंबर को बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए गैर सरकारी संगठन यूथ्स यूनियन फॉर वोलंटरी एक्शन (युवा) के साथ मिलकर व्यापक जागरूकता रैलियों का आयोजन किया. इन रैलियों में ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, बाल विवाह निषेध अधिकारियों (सीएमपीओ) और बाल विवाह पीड़िताओं ने हिस्सा लिया. सभी ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली.
‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के समर्थन में
यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान का हिस्सा है. इस अभियान का उद्घाटन 27 नवंबर को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी (झारखण्ड के कोडरमा से सांसद) ने किया.
विज्ञान भवन में अन्नपूर्णा देवी ने पंचायतों और स्कूलों में बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई. इसी के साथ, बाल विवाह की शिकायत और सूचना के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल भी लॉन्च किया गया.
आशा है कि इस अभियान के तहत देशभर में शपथ लेने वालों की संख्या जल्द ही 25 करोड़ तक पहुंच जाएगी.
23 प्रतिशत से अधिक लड़कियों का होता है बाल विवाह
सरायकेला के नुवागांव पंचायत भवन में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में युवा के निदेशक राकेश नारायण ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह अभियान इस बात का प्रमाण है कि सरकार बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई की गंभीरता से परिचित है.”
उन्होंने बताया कि देश में 23 प्रतिशत से अधिक लड़कियों का बाल विवाह होता है. यह न केवल उनके जीवनसाथी चुनने के अधिकार का हनन है, बल्कि उनके शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक आत्मनिर्भरता पर भी गंभीर प्रभाव डालता है.
राकेश नारायण ने बताया कि बाल विवाह जैसी समस्या को समाप्त करने के लिए समग्र और समन्वित प्रयास आवश्यक हैं. उन्होंने कहा, “सरकार और नागरिक समाज के साझा प्रयासों से भारत 2030 से पहले ही बाल विवाह मुक्त बनने का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है.”
इस कार्यक्रम में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता के महत्व और समाज में इसके हानिकारक प्रभावों पर जोर दिया गया. उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत हर हितधारक को शामिल करना प्राथमिकता है.
अभियान में जागरूकता की भूमिका
जिला प्रशासन और युवा ने यह स्पष्ट किया कि समाज के हर वर्ग को जागरूक करना इस अभियान की सफलता की कुंजी है. केवल सरकार के प्रयास ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की भागीदारी इस लड़ाई को निर्णायक बना सकती है.
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