नई दिल्ली: सात साल बाद दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) का अध्यक्ष कांग्रेस के नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) का होगा.
कांग्रेस पार्टी के छात्र संगठन NSUI ने DUSU का चुनाव जीता है. चार सबसे महत्वपूर्ण पदों में से दो पद उसे मिले हैं. वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने उपाध्यक्ष और सचिव पद पर विजय प्राप्त की है.
DUSU चुनाव में कांग्रेस के छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने अध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल की है.
अध्यक्ष पद पर NSUI के रौनक खत्री ने विजय प्राप्त की है, जबकि उपाध्यक्ष पद पर ABVP के भानु प्रताप ने जीत दर्ज की है. सचिव पद पर ABVP की मित्र विन्दा कर्णवाल ने सफलता पाई है, और संयुक्त सचिव पद पर NSUI के लोकेश विजयी रहे हैं.
पद | नाम | पार्टी | वोट |
अध्यक्ष | रौनक खत्री | NSUI | 20,207 |
उपाध्यक्ष | भानु प्रताप सिंह | ABVP | 24,166 |
सचिव | मित्र विन्दा कर्णवाल | ABVP | 16,703 |
संयुक्त सचिव | लोकेश चौधरी | NSUI | 21,975 |
NSUI ने DUSU चुनाव में आखिरी बार 2017 में अध्यक्ष पद जीता था. पिछले सात सालों में कई साल कोरोना के कारण चुनाव नहीं हो पाए. लेकिन जब चुनाव हुआ, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के छात्र संगठन ABVP का प्रभुत्व रहा.
चुनाव में 52 कॉलेजों और विभागों ने वोट डाला. कुल 1.45 लाख मतदाताओं में से 51,379 छात्रों ने मतदान किया था. सभी जगह मतदान EVM से किया गया, जबकि कॉलेज यूनियन के चुनाव बैलट पेपर के माध्यम से हुए. कॉलेजों के चुनाव में ABVP के उम्मीदवारों ने अधिकांश पदों पर विजय प्राप्त की.
छात्र संघ के साथ-साथ शिक्षक संघ में भी भाजपा और RSS का प्रभाव बढ़ चुका है. हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित उम्मीदवार की जीत हुई, जबकि पहले लेफ्ट और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों की जीत होती थी. ऐसे में NSUI की जीत महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
आम आदमी पार्टी के लिए खतरे की घंटी:
दिल्ली में विधानसभा चुनाव दो महीने बाद हैं, और एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने से ठीक पहले यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने भी दिल्ली विश्वविद्यालय में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की. आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन, छात्र युवा संघर्ष समिति ने कई चुनाव लड़े, लेकिन कोई विशेष सफलता हासिल नहीं कर पाई, और अंततः उसने चुनावी प्रक्रिया से पीछे हटने का निर्णय लिया. एनएसयूआई की जीत आम आदमी पार्टी के लिए एक गंभीर चुनौती हो सकती है.
दिल्ली में भाजपा अपने प्रभाव क्षेत्र में मजबूती से बनी हुई है, जहां उसे 36 फीसदी वोट मिलते हैं और इसमें कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है. हालांकि, कांग्रेस का वोट बैंक अब मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी की ओर स्थानांतरित हो चुका है, और कांग्रेस इसे वापस पाने के प्रयासों में जुटी है. कांग्रेस के नए अध्यक्ष देवेंद्र यादव इस दिशा में कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
इस मेहनत से भाजपा को यह उम्मीद है कि यदि कांग्रेस अपने वोटों में कुछ कमी कर सके, तो आम आदमी पार्टी को हराया जा सकता है. आम आदमी पार्टी यह समझ रही है कि कांग्रेस इस तरह की दबाव की राजनीति कर रही है. लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय में कांग्रेस के छात्र संगठन की जीत से आम आदमी पार्टी को राजनीतिक हवा का रुख समझ में आएगा, और संभव है कि वह कांग्रेस के साथ तालमेल बनाने के लिए तैयार हो जाए.
दिल्ली में ऐसा तालमेल संभव है, क्योंकि यहां भाजपा के पास पहले से विपक्षी स्पेस है, और स्थिति केरल या पंजाब जैसी नहीं है, जहां ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत विपक्षी दलों के एकजुट होने से भाजपा का मुकाबला करना संभव होता है.
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