उदित वाणी, जमशेदपुर : टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा आयोजित जनजातीय पहचान और संस्कृति का एक उभरता हुआ मंच संवाद 2024 के 11वें संस्करण का आज समापन हो गया. इस बार 168 जनजातियों का प्रतिनिधित्व करते हुए लगभग 2500 प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया. बिष्टुपुर के गोपाल मैदान में आयोजित 5 दिवसीय इस महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए भारत की विविध जनजातियों की समृद्ध परंपराओं और आपसी सौहार्द्र का जीवंत प्रदर्शन किया गया. संवाद 2024 में 28 जनजातियों, 11 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश की संस्कृति से सजी 28 शानदार प्रस्तुतियों ने उत्साह का नया आयाम जोड़ा. झारखंड की जनजातीय विविधता को समर्पित 245 संगीतकारों के समूह ‘कलर्स ऑफ झारखंड’ ने अपनी मनमोहक संगीत और लयबद्ध नृत्य प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
53 स्टॉल पर 40 लाख रुपए की हुई बिक्री
इस वर्ष, 125 जनजातीय शिल्पकारों ने 53 स्टॉलों पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए 40 लाख रुपये से अधिक की रिकॉर्ड बिक्री की. गोपाल मैदान स्थित 30 स्टॉलों पर सबसे अधिक संख्या में औषधीय तेल और औषधियों की भी बिक्री हुई.
रिदम्स ऑफ द अर्थ ने दी प्रस्तुति
दूसरे दिन, रिदम्स ऑफ द अर्थ ग्रुप के 75 संगीतकारों ने अपने नवीनतम एल्बम के कुछ गीत संवाद में प्रस्तुत किए. , जिससे दर्शक अपने सीटों से उठकर जनजातियों के विविध तालों पर थिरकने लगे.
जनजातीय कथाओं को संरक्षण पर हुई चर्चा
लगभग 330 लोगों, जिनमें 89 जनजातियों, 22 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों से आए जनजातीय लीडर और परिवर्तनकर्ताओं ने व्यक्तिगत यात्रा के माध्यम से जनजातीय कथाओं, पहचान के संरक्षण और प्रचार पर अपने दृष्टिकोण साझा किए. 38 जनजातियों, 12 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश से आए 154 उपचारकों ने पारंपरिक जनजातीय उपचार पद्धतियों के दस्तावेजीकरण की आवश्यकता और प्रकृति के महत्व को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया.
लघु फिल्म मलारिन खोड़ा और सोहराई बनीं विजेता
समुदाय के साथ राष्ट्रीय लघु फिल्म प्रतियोगिता में 15 जनजातियों और 11 राज्यों से 46 फिल्म प्रविष्टियां प्राप्त हुईं, जिनमें फिल्म निर्माता प्रियांशु किस्कू की मलारिन खोड़ा और फिल्म निर्माता रणवीर भगत की सोहराई विजेता बनीं.
316 में से 7 युवाओं को मिला संवाद फैलोशिप
इस वर्ष 316 जनजातीय युवाओं ने प्रतिष्ठित संवाद फैलोशिप के लिए आवेदन किया. अंततः 25 जनजातियों और 13 राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 32 फैलो चयनित हुए, जिनमें शीर्ष 18 ने अपनी जनजातीय संस्कृति और धरोहर के पुनर्निर्माण पर विचार प्रस्तुत किए. विभिन्न पिचिंग राउंड्स और कार्यशालाओं के बाद संवाद फैलोशिप प्राप्त करने वाले 7 फैलो में शामिल औस्विन विंटर जापंग, खासी जनजाति, मेघालय, जो हिन्निव त्रेप की लुप्त होती कबीला कथाओं का दस्तावेज़ीकरण करेंगे. वहीं एयनबिनी ओडुयू, लोथा जनजाति, नागालैंड, जो लोथा नागा वस्त्रों के महत्व पर शोध करेंगे. अरुण कुमार टीवी, माविलन जनजाति, केरल, जो पारंपरिक त्योहार थेय्यम की समृद्ध धरोहर और निकाय बेसा, कोन्याक जनजाति, नागालैंड, जो कोन्याक नागाओं के स्वदेशी घरेलू शिल्प का दस्तावेजीकरण करेंगे. इसके अलावा सुंदर मोहन मुर्मू, संथाल जनजाति, झारखंड, ओल चिकि लिपि में ग्राफिक उपन्यास या कॉमिक्स बनाने की योजना बना रहे हैं, तो पद्मा लाहमो, बोट जनजाति, लद्दाख, सियाचिन क्षेत्र में बोंग्सकांगचान की कथा और लोसर उत्सवों के महत्व का दस्तावेजीकरण करेंगी. इसी तरह सोनम डेचन लद्दाख के पारंपरिक किसानों के लुप्त हो रहे रीति-रिवाजों और लोककथाओं के संरक्षण पर काम करेंगी.
संवाद फैलोशिप में पूर्व सदस्यों ने लांच की 5 पुस्तकें
संवाद फैलोशिप के पूर्व सदस्यों द्वारा पांच पुस्तकें लॉन्च की गईं, जो विभिन्न जनजातीय संस्कृतियों को उजागर करती हैं. इनमें समुदायों पर एक वीडियो जर्नल शामिल हैं.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।