रांची: झारखंड सरकार की ओर से चलाई जा रही ‘मंईयां सम्मान योजना’ पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका झारखंड उच्च न्यायालय ने कर खारिज कर दी है. सिमडेगा के विष्णु साहू ने यह याचिका दाखिल की थी. गुरुवार को चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की बेंच में सुनवाई हुई. न्यायालय ने याचिकाकर्ता की दलीलों को गैरवाजिब करार दिया.
क्या था याचिका में
यह याचिका अगस्त महीने में ही दाखिल की गई थी. इसमें कहा गया था कि झारखंड में एक-दो महीने में चुनाव होना है और यह योजना मतदाताओं को प्रलोभन देकर प्रभावित करने की मंशा से लागू की गई है. याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकार जनता के टैक्स के पैसे से चलती है. राजस्व का उपयोग उन योजनाओं में किया जाना चाहिए, जिसका लाभ सार्वजनिक तौर पर लोगों को मिले. सीधे अकाउंट में राशि डालना उचित नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने दलीलें पेश की, जबकि राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने बहस की.
तानाशाह हार गया, पर लड़ाई जारी है: हेमंत
याचिका खारिज होने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर लिखा, “राज्य की मंईयां जीत गई तानाशाह हार गया – पर लड़ाई जारी है। मंईयां के खिलाफ अब ये सुप्रीम कोर्ट जाएंगे – पर मैं आपका भाई, आपका बेटा वहां भी इन्हें हराएगा जय मंईयां, जय जय झारखंड।”
झामुमो की विधायक कल्पना सोरेन ने भी न्यायालय के फैसले को राज्य की ‘मंईयां’ (बहनों) की जीत बताया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज झारखंड की सभी मंईयां की शानदार जीत हुई है. मंईयां सम्मान योजना के खिलाफ पीआईएल करने वालों के मुंह पर आज करारा तमाचा लगा है. दिसंबर से अब आपके खाते में 2,500 रुपए जाएगा.”
क्या है मंईयां सम्मान योजना
झारखंड की सरकार ने अगस्त महीने से ‘मंईयां सम्मान योजना’ शुरू की है, जिसके तहत 18 से 50 साल की उम्र वाली 50 लाख से अधिक महिलाओं के बैंक खाते में डीबीटी के जरिए हर महीने 1,000 रुपए की सहायता दी जा रही है. चुनाव की घोषणा के ठीक पहले कैबिनेट की मीटिंग में इस राशि को दिसंबर 2024 से बढ़ाकर 2,500 रुपए करने के निर्णय को स्वीकृति दी गई थी.
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