उदित वाणी, रांची: 10 जून को राज्यसभा की दो सीटों पर होनेवाले चुनाव में सत्तापक्ष झामुमो व कांग्रेस द्वारा बर्ष 2016 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा अपनाये गए फार्मुले पर काम किया जा रहा है और बताया गया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भाजपा को पटखनी देकर राज्यसभा की दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए नये समीकरण तलाश रहे हैं. अगर 10 जून तक मुख्यमंत्री व उनके भाई बसंत सोरेन की विधायकी पर आंच नहीं आती है, तो सत्तापक्ष द्वारा रघुवर के फार्मुले पर राज्यसभा की दोनों सीटों पर कब्जा जमाने की पूरी कोशिश की जायेगी. राजनीतिक हलकों से मिली जानकारी के अनुसार निर्वाचन आयोग मुख्यमंत्री व बसंत सोरेन की सदस्यता खत्म करे या न करे, झारखंड विधानसभा के स्पीकर रवीन्द्रनाथ महतो भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की सदस्यता खत्म करने को लेकर पूरी तैयारी में जुटे हैं. बताया यह भी गया है कि स्पीकर द्वारा भाजपा के कांके के विघायक समरीलाल की भी सदस्यता खत्म कर देंगे. जानकारी के अनुसार स्पीकर द्वारा राज्यसभा चुनाव के ठीक पहले उक्त कार्रवाई कर सकते हैं. जबकि दो विधायकों की सदस्यता खत्म किए जाने पर भाजपा के पास कुल 24 विधायक ही बचेंगे. इधर भाजपा के विधायकों की संख्या कम करने के साथ-साथ सत्तापक्ष द्वारा विधायक सरयू राय व सुदेश कुमार महतो द्वारा बनाये गए गठबंधन को भी अपने पाले में करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. इस गठबंधन में कुल पांच विधायक हैं. बताया गया है कि दो सीटों के फार्मुले को लेकर ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फिलवक्त सहयोगी कांग्रेस पार्टी को शांत रखने की कोशिश की है तथा अगर परिस्थितियां सत्तापक्ष के अनुकुल बनती है, तो झामुमो के 30, कांग्रेस के 17, राजद व भाकपा माले के एक-एक समेत सरयू-सुदेश जोड़ी के पांच कुल विधायकों का आंकड़ा 54 तक पहुंच जायेगा और सत्तापक्ष के दोनों राज्यसभा उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत सकते हैं.
सीधे-सीधे नहीं तो अलग तरीके से जीतेंगे रास की दोनों सीटें-सुप्रियो
झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भटटाचार्य ने भी इस संबंध में बयान देकर अचानक राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है. भट्टाचार्य ने कहा कि बर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में क्या हुआ था. संख्याबल न होते हुए भी भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में दो प्रत्याशी उतार दिया था और छल-प्रपंच करके दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी. उन्होंने कहा कि अगर सीधे-सीधे नहीं तो उनका गठबंधन भी अलग तरीके से जीत सुनिश्चित करेगी. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में यूपीए भी दो उम्मीदवार उतार सकता है. उन्होंने कहा कि हमने भाजपा से ही सीख लिया है कि चुनाव में कुछ हद तक छल प्रपंच चलता है. यूपीए के पास सबसे अधिक वोट है और पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के फॉर्मूले को दोहराया जा सकता है.
2016 में पर्याप्त संख्याबल होने के बावजूद झामुमो-कांग्रेस को मिली थी शिकस्त
ज्ञात हो कि बर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में झाुममो व कांग्रेस के गठबंघन के पास पर्याप्त संख्याबल होने के बाद भी हाथ खाली रह गया था. भाजपा ने 2016 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को शिकस्त देकर अपनी पार्टी के मुख्तार अब्बास नकवी व महेश पोद्दार को चुनाव जीताकर राज्यसभा भेजा था और अब नकवी व पोद्यार के काय्रकाल पूरा होने पर ही राज्यसभा की दो सीटों पर 10 जून को चुनाव होनेवाला है.
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