कर्मचारियों ने यूनियन नेताओं के विरोध में पूरी तरह से कैंटीन बहिष्कार किया
उदित वाणी, जमशेदपुर : टाटा कमिंस में हुए ग्रेड का विरोध और तेज हो गया है. कंपनी के कर्मचारियों ने पूरी तरह से कैंटीन बहिष्कार कर रखा है. यूनियन की ओर से काला बिल्ला अभियान खत्म करने के बाद भी सारे कर्मचारी काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह विरोध प्रबंधन के खिलाफ नहीं, गोदी यूनियन के खिलाफ है, जिसने कर्मचारियों को बेहतर ग्रेड कराने के नाम पर ठगा है.
यही नहीं टाटा कमिंस के इतिहास में पहली बार एसोसिएट ग्रॉथ प्लान (एजीपी) को भी ग्रेड समझौता का हिस्सा बनाया है, जो पहले अलग से समझौता होता था. एजीपी के वेटेज को भी ग्रेड में शामिल कर लिया गया है. साथ ही ग्रेड की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर चार साल कर दिया गया है. यह ग्रेड, अब तक का सबसे खराब ग्रेड है. कर्मचारियों ने धमकी दी है कि जब तक एजीपी को ग्रेड से बाहर नहीं किया जाएगा, तब तक यूनियन का विरोध जारी रहेगा. उल्लेखनीय है कि 12 अगस्त को ग्रेड समझौता हुआ था. रविवार 13 अगस्त को कंपनी खुलने के बाद ही कर्मचारियों ने काला बिल्ला लगाकर और कैंटीन में खाना नहीं खाकर यूनियन के खिलाफ अपना विरोध जताया था.
कर्मचारियों के रोष को देखते हुए यूनियन नेता भी अभी अपने विभाग नहीं जा रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है. मिनिमम गारंटेड बेनिफिट में कम बढ़ोतरी हुई है. पहले प्रबंधन के खिलाफ, अब यूनियन के खिलाफ विरोध अब तक कर्मचारी ग्रेड में देरी को लेकर प्रबंधन के खिलाफ काला बिल्ला लगाकर काम कर रहे थे, लेकिन अब मजदूर अपनी यूनियन के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिए है.
कर्मचारियों ने कहा कि यूनियन के नेताओं ने एक साल तक कर्मचारियों को बेवकूफ बनाया और प्रबंधन के खिलाफ विरोध का नाटक करते रहे. केवल दो नेताओं ने कर्मचारी हित में ग्रेड समझौता पर हस्ताक्षर नहीं किया. उनका कहना है कि पिछले ग्रेड में कर्मचारियों को सालाना 5600 रूपए मिला था, जो इस ग्रेड में 4500 रूपए मिला है. वैसे तो इस ग्रेड में एक्चुअल बढ़ोतरी 18000 की जगह 17200 ही हुई है. पहली बार एसोसिएट ग्रॉथ प्लान (एजीपी) के वेटेज को भी ग्रेड में शामिल किया गया है, जो गलत है. अब तक एजीपी का समझौता अलग से होता था.
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