प्रबंधन के प्रस्ताव पर ग्रेड समझौता हुआ तो यूनियन को कर्मचारियों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा
उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा कमिंस में ग्रेड को लेकर चल रहे कैंटीन बहिष्कार के बीच टाटा कमिंस के वीपी मनीष झा बुधवार को शहर पहुंचे. मनीष झा के पहुंचने के बाद एक फिर से लंबित ग्रेड को लेकर वार्ता की सुगबुगाहट तेज हो गई है. बताया जा रहा है कि प्रबंधन और यूनियन के बीच गुरुवार को इस बारे में कोई वार्ता हो सकती है.
कर्मचारियों में यूनियन को लेकर कई तरह की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि अगर यूनियन ने प्रबंधन के 18 हजार और चार साल के ग्रेड के प्रस्ताव को मान लिया, तो उसे कर्मचारियों के आक्रोश को तो झेलना ही पड़ेगा, कमेटी मेंबरों के बीच भी आपसी फूट हो सकती है. यूनियन, ग्रेड को लेकर एक साल से नौटंकी कर रही है. अब काला बिल्ला और कैंटीन बहिष्कार का नया ड्रामा चल रहा है.
यूनियन की साख का लिटमस टेस्ट यह ग्रेड, यूनियन के पदाधिकारियों की साख का लिटमस टेस्ट साबित होने जा रहा है. ऐसे में अगर ट्रेंड के हिसाब से ग्रेड नहीं हुआ तो उन्हें कर्मचारियों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा. प्रबंधन की कोशिश है कि थक हारकर यूनियन उनके प्रस्ताव को मान लें. यह यूनियन, प्रबंधन के विरोध भी नहीं जा सकती, क्योंकि उसे पता है कि उसकी बागडोर प्रबंधन के हाथ में है और वह महज कठपुतली है.
मगर प्रबंधन भी नहीं चाहता कि इस यूनियन के सामने अस्तित्व बचाने को कोई संकट हो. ऐसे में कहा जा रहा है कि कुछ ले-देकर प्रबंधन ग्रेड समझौता कर सकता है, क्योंकि अब बोनस का समय आ रहा है. कमेटी मीटिंग में पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष को नहीं बुलाया पिछले दिनों हुई कमेटी मीटिंग में यूनियन के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और कमेटी मेंबर एहसान अहमद सेराजी को केवल इसलिए नहीं बुलाया गया, क्योंकि उन्होंने कर्मचारियों का समर्थन करते हुए ट्रेंड के हिसाब से ग्रेड कराने की मांग की थी. 14 दिन का काला बिल्ला लगाने का अभियान 5 अगस्त को खत्म हुआ था. यूनियन ने ऐलान किया था कि अगर प्रबंधन ने 14 दिन में उनकी मांग को नहीं माना तो फिर बड़ा आंदोलन होगा. मगर बड़े आंदोलन की जगह कैंटीन बहिष्कार का फैसला लिया गया, जो पहले भी हुआ था. उल्लेखनीय है कि कंपनी का ग्रेड एक अप्रैल 2022 से लंबित है.
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