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उदित वाणी,जमशेदपुर : कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि प्राचार्या डॉ मुकुल खंडेलवाल ने प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित की। अपने संबोधन में डॉ. मुकुल खंडेलवाल ने कहा कि प्रेमचंद ग्रामीण जीवन के चितेरे लेखक थे। उनकी लेखनी ने समाज के अंदर की कुरितियों को उजागर किया है। जब भी साहित्य में कहानी या उपन्यास की बात आएगी उसके केंद्र बिंदु में प्रेमचंद ही रहेंगे।
मुख्यवक्ता प्रो. राकेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि प्रेमचंद ने दबे कुचले लोगों की आवाज बनकर अपनी लेखनी चलाई है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में कृषक वर्ग और मजदूर नायक के रूप में देखे जाते हैं। उन्होंने न सिर्फ छुआछुत, बेमेल विवाह, स्त्री के आभूषण लोभ, लोभी, आलसी का विषय उठाया बल्कि सत्यनिष्ठा, पंच परमेश्वर है, की भी बात की। उनकी कहानियाँ मानवीय मूल्यों को प्रतिष्ठित करती है। मानव के प्रकृति और प्रकृति के लोगों के प्रति व्यवहार की भी वकालत की है।
कार्यक्रम में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ भारती कुमारी ने स्वागत भाषण के साथ विषय प्रवेश कराया।
कार्यक्रम में श्रुति चौधरी, हेमलता कुमारी, अनुराधा कुमारी, अनामिका कुमारी, अनुभा कुमारी, ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर संतोषी कुमारी, प्रिया कुमारी, कंचन, लक्ष्मी, रुबी, अंजलि, पूनम, शकुन्तला, जय श्री, श्रुति, सोनी, खूशबू, रिया, सेतु, सपना, सहित हिन्दी विभाग के सेमेस्टर 1, सेमेस्टर, 3, सेमेस्टर, 5 की छात्राएं उपस्थित थीं।
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