उदित वाणी जमशेदपुर : लंबा कद, लंबी चोटी और बेचैन आंखें. यही पहचान है फनकार नागेश की. वैसे असल नाम नागेश चौधरी है मगर काम की बदौलत फनकार बन गए. पेंटिंग के साथ फोटोग्राफी करते हैं. उनकी कला के ये दो आयाम है. कहते हैं-फोटोग्राफी और पेंटिंग दोनों एक ही है, केवल मीडियम (माध्यम) का फर्क है. फ्रेम, कम्पोजिशन और परस्पेक्टिव दोनों में एक ही होता है. हां, पेंटिंग में आप अपनी इच्छा के अनुसार कैनवास पर रंगों के साथ खेलते हैं, जो आजादी फोटोग्राफी में नहीं मिलती. टाटा मोटर्स के कम्युनिकेशन विभाग में काम करने वाले नागेश के लिए अपने शौक को जुनून बनाना आसान नहीं था.
बर्थ डे पर पिता ने गिफट में दिया कैमरा
बकौल नागेश, पिता टाटा मोटर्स में काम करते थे. विग इंग्लिश स्कूल गोविंदपुर में कक्षा दो में था तो पटना में हुई एक कला प्रतियोगिता में भाग लिया. संयुक्त बिहार में दूसरे स्थान पर रहा था. कक्षा सात की बात है. मैंने एक दिन पिता से कैमरे की जिद की. उन्होंने मना कर दिया. बाद में इस शर्त के साथ तैयार हुए कि क्लास में फर्स्ट आओगे तो कैमरा देंगे. मेरे लिए यह टास्क मुश्किल था, क्योंकि मैं पढ़ाई के अलावा सब कुछ करता था. खैर पढ़ा, फर्स्ट तो नहीं आया, क्लास में सातवें स्थान पर आया और कैमरा मिलने का सपना टूट गया. लेकिन मुझे आज भी 22 नवंबर (मेरा बर्थ डे) की तिथि याद है जब पिताजी ने मेरे तकिये के नीचे एक बैग रखा था, जिसमें कैमरा था. मैं पिता से लिपटकर कई घंटों रोया और यहां से मेरी जिंदगी बदल गई.
चमक-दमक से दूर रहते हैं नागेश
नागेश कहते हैं-वे सारे मीडियम में काम करते हैं. लेकिन ट्रांसप्रेंसी वर्क उनकी पहचान है. चमक दमक से दूर रहने वाले नागेश अपना काम गुमनामी में करते हैं.
बकौल नागेश, मेरा काम ही पहचान है. बेहद शिद्दत से अपना काम करता हूं. इसलिए नहीं कि पॉपुलर बनू, बल्कि इसलिए कि यह मेरा जुनून है. जमशेदपुर जैसे शहर में 20 साल पहले ऐसे ऑफबीट एरिया में करिअर बनाना आसान नहीं था. आज बच्चों के साथ ही पैरेन्ट्स भी काफी जागरूक हुए हैं और युवा अपनी पसंद के क्षेत्र में जा रहे हैं.
फिर अपनी स्टाइल विकसित की
फोटोग्राफी के साथ पेंटिंग्स भी करता था. शहर के पुराने चित्रकारों की सोहबत में रहकर कैनवास पर रंगों से खेलना शुरू किया. एक दिन सेंटर फॉर एक्सीलेंस में आर्ट इन इन्डस्ट्री में जाने का मौका मिला. पटना आर्ट कॉलेज से आए एक चित्रकार से मिलने का मौका मिला. उन्होंने मेरी पेंटिंग्स देखी और खूब प्रशंसा की. लेकिन चलते-चलते कहा-बहुत अच्छा वर्क है तुम्हारा. लेकिन इस काम में तुम कहीं नजर नहीं आते. सारे वर्क किसी की कॉपी है. मैं उनकी पैरों पर गिर गया और फिर धीरे धीरे अपनी स्टाइल को विकसित की.
लॉकडाउन में घर की पूरी दीवार पेटिंग कर डाली
नागेश बताते हैं कि लॉकडाउन का पीरियड काफी मुश्किल वाला रहा. मैंने इस दौरान अपने घर के 70&80 फीट की दीवार की पेंटिंग कर डाली. भारत की विविध सभ्यता और संस्कृति की झलक देख सकते हैं. नागेश की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी जमशेदपुर के साथ ही दिल्ली, जयपुर और मुंबई में भी लग चुकी हैं.
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