- इंकैब मामले को लेकर एनसीएलटी कोलकाता में फिर हुई सुनवाई
उदित वाणी, जमशेदपुर: एनसीएलटी कोलकाता में बलराज जोशी और बिदिशा बनर्जी के बेंच में इंकैब मामले की फिर से सुनवाई शुरू हुई. आरपी पंकज टिबरेवाल के अधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि वेदांता द्वारा 545 करोड़ का रेजोल्यूशन प्लान दिया गया है. इस प्लान से मजदूरों को औसतन 80 हजार रूपए मिलेगा. उन्होंने माननीय बेंच को बताया कि इस रिजोल्यूशन प्लान को कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स ने 99 फीसदी वोट के साथ अनुमोदित किया है. अधिवक्ता ने यह भी दुहराया कि वेदांता बड़ा नाम है और हम 545 करोड़ दे रहे हैं, जिसमें मजदूरों का 15 करोड़ शामिल है. कंपनी के रिवाइव होने से रोजगार पैदा होगा, अतः माननीय बेंच इंकैब के अधिग्रहण का आदेश पारित करें. रिजोल्यूशन प्रोफेशनल के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि अगर वेदांता, इंकैब कंपनी का अधिग्रहण करती है तो टाटा स्टील को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी, जो इंकैब की 177 एकड़ जमीन का लीजधारक है.
177 एकड़ की जमीन टाटा की नहीं, इंकैब की है
उधर, कोलकाता के मजदूरों के अधिवक्ता ने कहा कि अगर रिजोल्यूशन प्लान में उनके मुताबिक संशोधन कर दिया जाय तो वह रिजोल्यूशन प्लान का समर्थन करेंगे. मजदूरों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने माननीय बेंच को बताया कि 177 एकड़ जमीन इंकैब की है, टाटा की नहीं है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2016 में टाटा स्टील को कंपनी का अधिग्रहण करने को कहा था लेकिन टाटा स्टील ने इंकैब की देनदारी को प्राइवेट हाथों में बेचने का बहाना बना कर इंकैब का अधिग्रहण नहीं किया. उन्होंने बताया कि इस कंपनी को अधिग्रहण करने की कोई जरूरत नहीं है. अधिग्रहण की जरूरत तब पड़ती है जब कंपनी के पास देनदारी ज्यादा हो और परिसंपत्तियां कम, जो इस मामले में नहीं है. यह कंपनी खुद रिवाइव कर सकती है. हमें टाटा स्टील और वेंदांता जैसी कंपनियां नहीं, माननीय एडजुटिकेटिंग अथॉरिटी का आदेश चाहिए. इंकैब कंपनी के पास लगभग 3000 करोड़ की परिसंपत्तियां हैं और महज 21 करोड़ की लेनदारी. यह लेनदारी माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के 6.1.2016 के आदेश में भी लिखा हुआ है. पर एआरसी (एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनी), सिटी बैंक और एक्सिस बैंक ने इंकैब की लेनदारियों को कमला मिल्स, फस्क्वा इनवेस्टमेंट, पेगासस और ट्रॉपिकल वेंचर जैसी प्राइवेट कंपनियों को गैरकानूनी तरीक से बेचा और रमेश घमंडीराम गोवानी, जिसने 2006 में इंकैब कंपनी पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर लिया था, रिजोल्यूशन प्रोफेशनल शशि अग्रवाल के साथ मिलकर कंपनी के परिसमापन का सीओसी में रिजोल्यूशन पास करा लिया और माननीय एडजुटिकेटिंग अथॉरिटी को गुमराह कर कंपनी के परिसमापन का आदेश पारित करा लिया.
आरपी ने फ्रॉड किया है-अधिवक्ता
उन्होंने बताया कि नये रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने शशि अग्रवाल से भी बड़ा फ्रॉड किया है. उन्होंने देनदारियों को सत्यापित नहीं किया, उसे एडमिट नहीं किया और नया कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स नहीं बनाया, बल्कि शशि अग्रवाल ने जो फर्जीवाड़ा किया था, उसी फर्जीवाड़े को रमेश घमंडी राम गोवानी और दूसरी कंपनियों यथा पेगासस, ट्रापिकल वेंचर्स, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और दूसरे लोगों के साथ मिलकर वेदांता के द्रारा यह रिजोल्यूशन प्लान माननीय एडजुटिकेटिंग अथॉरिटी के समक्ष प्रस्तुत किया है.
लीज मामले में रांची हाई कोर्ट में रिट
इंकैब के 177 एकड़ जमीन के मामले में अखिलेश श्रीवास्तव ने अपना पक्ष रखते हुए न्याय निर्णायक अधिकारी, एनसीएलटी, कोलकाता को बताया कि एनसीएलटी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर इंकैब की जमीन को अपने 7.2.2020 के आदेश द्वारा टाटा स्टील का लीज घोषित कर दिया था. वह आदेश एनसीएलएटी ने अपने 4.6.2021 के आदेश से रद्द कर दिया जिस पर सुप्रीम कोर्ट मुहर लगा चुकी है. इस मसले पर एक रिट भी दाखिल किया गया है माननीय रांची उच्च न्यायालय में. इस मामले पर अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी. कर्मचारियों की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और आकाश शर्मा ने हिस्सा लिया.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।