उदित वाणी, जमशेदपुर: आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में मंगलवार को तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रीनाथ हिन्दी महोत्सव का उद्घाटन किया गया. पहले दिन हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए विविध प्रतियोगिताएं हुईं. वहीं हिन्दी के महत्व पर विमर्श किया गया.
हिन्दी महोत्सव का उद्घाटन कोल्हान आयुक्त मनोज कुमार, कोल्हान विश्व विद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ. पीके पाणी, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गोविंद महतो, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो, डॉ. बालमुकुंद पैनाली, अर्का जैन विश्वविद्यालय के कुलपति एसएस रजी, जिला परिवहन पदाधिकारी दिनेश रंजन, संध्या शंभू ट्रस्ट के संस्थापक शम्भू महतो व संध्या महतो आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया.
बताते चलें कि हिन्दी के प्रचार प्रसार और हिंदी को वैश्विक स्तर पर लाने के लिए इसकी शुरुआत विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष से ही हिंदी दिवस मनाया जा रहा है.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कोल्हान आयुक्त मनोज कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व के सभी देश के राष्ट्राध्यक्ष अपनी मातृभाषा भाषा में अपनी बात कहते हैं, इसलिए हमें भी अपनी भाषा के विकास लिए काम करना चाहिए. समस्त राष्ट्र की उन्नति का मूल इसी भाषा में है.
आज व्यक्तिगत विकास को सही दिशा देने की आवश्यकता है. कहा कि अगर आप बौद्धिक तरक्की करना चाहते हैं, राष्ट्र को कुछ देना चाहते हैं तो हमें अपनी पढ़ाई लिखाई को पैकेज के बाहर लाकर सोचना होगा.
आयुक्त ने विद्यार्थियों को नशे से बचने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि आप नशे को छोड़िए क्योंकि इससे हमारा युवा वर्ग दूषित हो रहा है. इसकी वजह से हमें आने वाले समय में कभी भी अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर साहित्यकार नहीं मिल सकेंगे.
कई देशों में बोली जाने वाली भाषा है हिन्दी : पाणी
कोल्हान विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ. पी. के. पानी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 14 सितंबर को हिंदी दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि हिंदी की उपेक्षा को रोका जा सके.
यह भारत की राजभाषा है. यह भारत के अतिरिक्त दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, पाकिस्तान, त्रिनिदाद, बांग्लादेश जैसे कई देशों में बोली जाने वाली भाषा है. इसके लिए सरकार भी अपनी ओर से लगातार काम कर रही है. वहीं कुलपति डॉ. गोविंद महतो ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीनाथ विश्वविद्यालय ने बहुत कम समय में लंबा सफर तय किया है.
यह विश्वविद्यालय हिन्दीमहोत्सव अपने आरंभिक चरण से ही पूरे धूमधाम से मनाते आया है. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आईपीएस संजय रंजन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि कि जीवन के मूल्यों और नैतिकता को बच्चे कभी ना भूलें क्योंकि यह मूल्य और नैतिकता ही है जिस पर यह दुनिया टिकी हुई है.
कारपोरेट संस्कृति में हिंदी की स्थिति पर किया गया मंथन
हिन्दी महोत्सव के प्रथम दिवस के दूसरे सत्र में चिंतन मनन रखा गया, जिसका विषय था कारपोरेट संस्कृति में हिंदी की स्थिति. इसमें मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार संजय मिश्रा तथा यूएन पाठक उपस्थित थे. चिंतन मनन का सत्र समन्वय जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय की आचार्य डॉ. मुदिता चंद्र ने किया.
विषय पर बात करते हुए संजय मिश्रा ने कहा कि हमें बचकाना अनुवाद के प्रयोग से बचना चाहिए. हमारे बच्चों को संस्कृति से जुड़ने की आवश्यकता है. कारपोरेट जगत ने हिंदी के बढ़ावे में सहयोग दिया है.
कारपोरेट की भाषा हिंदी से अलग नहीं है क्योंकि कारपोरेट का लोगों तक अपनी बात पहुंचाना, अपने उत्पादों को लोगों तक सुलभ कराने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका है. कारपोरेट का हिंदी से रिश्ता दिन प्रतिदिन मजबूत हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि मुझे लगता है कि हिंदी का भविष्य बहुत सुरक्षित है.
चिंतन मनन की समन्वयक डॉ मुदिता चंद्रा ने कहा कि हिंदी को पुस्तक की भाषा बनाकर रखना गलत होगा. हिंदी एक समृद्ध भाषा है. दूसरे वक्ता यूएन पाठक ने कहा कि करीब 53 करोड़ से अधिक लोग भारत में हिंदी बोलते हैं वही विश्व में 70 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं.
महोत्सव में उपस्थित हुए अतिथियों का विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो तथा प्रबंधन के सदस्यों के द्वारा अंग वस्त्र, पुष्प पौधा एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. हिंदी महोत्सव के प्रथम दिवस में कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गई यथा हास्य कवि सम्मेलन, प्रश्नोत्तरी प्रथम चरण, दीवार सज्जा, सामूहिक चर्चा.
प्रथम दिवस में निर्णायक के रूप में नरेश अग्रवाल, डॉ. रागिनी भूषण, विकास प्रसाद, अनूप कुमार सिन्हा, सुमन प्रसाद अरुणा झा, सुधा गोयल, ज्योति स्वरूप, संतोष साव, संदीप सावर्ण, ट्विंकल गुप्ता, दशरथ हांसदा आदि उपस्थित थे.
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