उदितवाणी, जमशेदपुर: मास कम्युनिकेशन विभाग और स्पीक मैके नई दिल्ली के तत्वावधान में सोमवार को राजस्थानी लोक कलाकारों ने करीम सिटी कॉलेज के ऑडिटोरियम में राजस्थानी लोक संगीत से समं बांध दिया.
इस साल मास कम्युनिकेशन विभाग का यह 25वां वर्ष पूरा हो रहा है. इसी अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. बताते चलें कि स्पीक मैके आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. किरण सेठ द्वारा शुरू की गई एक ऐसी संस्था है, जिसमें भारतीय कला, संस्कृति, संगीत से नई पीढ़ी को जोड़ने की कोशिश विगत पांच दशकों से की जा रही है.
सोमवार को राजस्थान से आए बागुर खान और उनके समूह ने राजस्थानी लोकगीत प्रस्तुत किए. उन्होंने सूफी कव्वाली भी गाकर सनाया. उनके साथ आए दो नृत्यांगनाओं ने भवाई नृत्य और कालबेलिया नृत्य भी प्रस्तुत किया.
उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय सांस्कृतिक विरासत को समझना अंडरस्टैंडिंग इंडिया पत्र के तहत शामिल कर लिया गया है. कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए यह एक अनूठा अनुभव था, जहां वे साक्षात कलाकारों को बजाते और गाते सुन रहे थे. लगभग विलुप्त हो चुके वाद्य यंत्रों से भी इन कलाकारों ने विद्यार्थियों का परिचय करवाया.
केसरिया बालम आओ जी मारे देश से लेकर नींबूडा नींबूडा और अंत में दमा दम मस्त कलंदर… के साथ इन कलाकारों ने प्रस्तुति का समापन किया.
इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मोहम्मद रियाज उपस्थित थे. मास कम्युनिकेशन विभाग की अध्यक्ष डॉ. नेहा तिवारी ने कलाकारों का परिचय करवाया. स्पीक मैके की क्षेत्रीय समन्वयक भारती बनर्जी ने कॉलेज को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया.
इस मौके पर कॉलेज का ऑडिटोरियम विद्यार्थियों से खचाखच भरा हुआ था, साथ ही कॉलेज के तमाम प्राध्यापकों ने भी इस संगीत में प्रस्तुति का लुत्फ उठाया. कार्यक्रम को सफल बनाने में सैयद साजिद, सैयद शाहजेब, डॉ रश्मि और तासीर शाहिद की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
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