- कुतुबमीनार के लौह स्तंभों में जंग क्यों नहीं लगता, एनएमएल के शोध में यह तथ्य सामने आया
उदित वाणी, जमशेदपुर: राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) जमशेदपुर का 73 वां स्थापना दिवस 26 नवम्बर को संस्थान परिसर में आयोजित किया जाएगा. आईआईटी पटना के निदेशक प्रोफेसर टीएन सिंह इस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. मौके पर संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ.एके श्रीवास्तव भी मौजूद रहेंगे. समारोह में संस्थान के वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया जाएगा.
इस प्रयोगशाला की स्थापना 26 नवम्बर 1950 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी. नेहरू इन प्रयोगशाला को आधुनिक भारत के मंदिर कहा करते थे. पिछले 73 साल में इस प्रयोगशाला ने देश के विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है. प्रयोगशाला की विकसित तकनीक को देश ही नहीं दुनिया भर में पहचान मिली है.
वैज्ञानिकों के शोध का लोहा अमेरिका ने माना
इस प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों के शोध का लोहा अमेरिका तक ने माना है. अमेरिकन सोसायटी ऑफ मेटलर्जी (एएसएम) ने दिल्ली के कुतुबमीनार परिसर स्थित लौह स्तंभ की संरचना पर किए गए एनएमएल के शोध को न केवल मान्यता दी है, बल्कि इस संरचना को धातुकर्म का ऐसा बेजोड़ नमूना माना है, जो भारत के धातु ज्ञान की समृद्धि को दर्शाता है. पूरी तरह जंगमुक्त यह लौह स्तंभ भारत के धातु विज्ञानियों के लिए कौतूहल का विषय था. 1963 में एनएमएल के दो वैज्ञानिक डॉ एके लाहिड़ी और डॉ एमके घोष ने इस लौह अयस्क का सैंपल (नमूना) लेकर इसका अध्ययन किया.
अध्ययन में यह बात सामने आई कि 1600 वर्ष पूर्व भारत का धातु विज्ञान कितना उन्नत था. शोध में पता चला कि इसका निर्माण फोर्जिंग तकनीक से हुआ था. यह शोध उस समय के एक जर्नल में प्रकाशित हुआ तो बीएचयू (वाराणसी) के धातु विज्ञानी डॉ अनंत रमण और आईआईटी कानपुर के डॉ आर बाला सुब्रह्मण्यम ने लौह स्तंभ पर और विस्तार से शोध किया. डॉ सुब्रह्मण्यम की शोध में यह बात सामने आई कि स्तंभ को सुरक्षित रखने के लिए उसके ऊपर मिसाविट नाम के रसायन की पतली परत चढ़ाई गई थी, जो लोहे, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के मिश्रण से तैयार की गई थी.
ताजमहल की सफेदी लौटाई तो ई कचरे से सोना निकाला
तकनीक के क्षेत्र में एनएमएल जमशेदपुर की भूमिका अहम रही है. इस संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित स्मोक लेस चूल्हा कूपोला ने आगरा के ताजमहल की सफेदी लौटाई. आगरा के आसपास स्थित कांसा और तांबा उद्योग से निकलने वाले धुएं से पीला पड़ते ताजमहल के संगमरमर की सफेदी लौटाने के लिए कूपोला को बनाया.
हावड़ा ब्रिज में इस्तेमाल हुए स्टील को बनाने में एनएमएल की भूमिका रही है. यही नहीं प्रयोगशाला ने ग्रीन टेक्नोलॉजी को विकसित कर दुनिया भर में अपना नाम रोशन किया है. विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट की रिसाइक्लिंग को लेकर विकसित तकनीक भारत की कंपनियों के अलावा साउथ कोरिया की कंपनियां इस्तेमाल कर रही हैं. इस तकनीक में मोबाइल से मूल्यवान धातुएं निकालने के साथ ही बैटरी से कोबाल्ट जैसी धातु निकालने की तकनीक भी शामिल है. लिथियम, मैग्नीज और निकेल जैसी धातुएं भी निकाली जा रही हैं.
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