उदित वाणी, जमशेदपुर : शहर में रहनेवाले गुजराती समुदाय के लोग 26 अक्टूबर को नया साल मनाएंगे.गुजरातियों का नया साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुरु होता है. आमतौर पर गुजराती नव वर्ष अन्नकूट पूजा के दिन ही शुरू होता है. गोवर्धन पूजा को ही अन्नकूट पूजा के नाम से जाना जाता है.
गुजराती नववर्ष वह होता है, जब पुराने खाता बुक को बंद कर नई खाता बुक शुरू की जाती है. गुजराती अधिकतर किसी न किसी व्यवसाय से जुड़े होते है, इसलिए यहां खाता बुक का अधिक महत्व है. इस दिन गुजराती माता लक्ष्मी से आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ ही इसे चोपड़ा पूजन के नाम से भी जाना जाता है. आने वाले साल व्यवसाय में लाभदायक हो, इसके लिए चोपड़ा पूजा या लक्ष्मी पूजा को दौरान नई खाता बुक पर स्वस्तिक का चिह्न भी बनाया जाता है.
गुजराती नववर्ष का महत्व
दीपावली पूरे देश में मनाई जाती है, इसके हर जगह अलग अलग महत्व है. लेकिन, गुजराती समुदाय के लिए दीपावली को नए साल का प्रतीक माना गया है. दीपवाली के दिन साल का आखिरी दिन होता है, इसके अगले दिन से गुजराती नववर्ष की शुरुआत हो जाती है. हिंदू कैलेडर के हिसाब से देखा जाए, तो यह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को आता है.
चंद्र चक्र पर आधारित भारतीय कैलेंडर के अनुसार गुजरात में कार्तिक महीना साल का पहला महीना होता है, और यही गुजराती नववर्ष का पहला दिन होता है. इसी कारण इस दिन को वित्तीय नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. आपको बता दें कि इसी दिन से भी शुरु होता है.
गुजराती नव वर्ष 26 अक्टूबर, बुधवार
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ 25 अक्टूबर 04.18 बजे शाम
प्रतिपदा तिथि समाप्त 26 अक्टूबर 02.42 दोपहर
कैसे मनाया जाता है नववर्ष
गुजराती नववर्ष गुजरातियों के लिए सबसे बड़े त्योहारों में से एक होता है. इस दिन लोग समारोहों का भी आयोजन करते हैं. नए कपड़े पहनकर, मंदिर में पूजा पाठ करते हैं. इसके बाद अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर खुशियां बाटते हैं. अपनी खुशियों का इजहार करने के लिए गुजराती नव वर्ष पर शानदार आतिशबाजी की जाती है, घरों को सजाया जाता है. इस दिन महिलाएं घरों में स्वादिष्ट मिठाइयां तैयार करती है और सभी का मुंह मीठा कराया जाता है.
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