उदित वाणी, जमशेदपुर : सिख समुदाय दीपावली के पर्व को ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में मनाता है. सिख समुदाय के लिए दिवाली का दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में आता है और इसका सबसे बड़ा आयोजन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में होता जहां की दीपमाला और आतिशबाजी को देखने, देश ही नहीं पूरी दुनिया से श्रद्धालु अमृतसर स्वर्ण मंदिर के दर्शनों को पहुंचते हैं.
उस दिन पंजाब के गांव-गांव से लोग मिट्टी के दीये और तेल की शीशियां लेकर आते हैं और अमृत सरोवर के चारों ओर दीये जलाते हैं. इस मौके पर स्वर्ण मंदिर और पूरे परिसर को ही अलौकिक तरीके से दीपों और लाइटों से सजाया जाता है.इतिहासकारों के मुताबिक मुगलों ने जब मध्य प्रदेश के ग्वालियर के किले को अपने कब्जे में लिया तो इसे जेल में तबदील कर दिया.
इस किले में मुगल सल्तनत के लिए खतरा माने जाने वाले लोगों को कैद करके रखा जाता था. बादशाह जहांगीर ने यहां 52 राजाओं के साथ 6वें सिख गुरु हरगोविंद साहिब को कैद रखा था.बताते हैं कि जहांगीर को सपने में एक रूहानी हुक्म के कारण गुरु हरगोविंद साहिब को रिहा करने पर मजबूर होना पड़ा था.
दीपावली के दिन गुरु साहिब मुगल बादशाह की कैद से खुद तो रिहा हुए ही साथ में 52 कैदी राजाओं को भी मुगलों की कैद से बाहर ले आए. इसी घटना की याद में वहां गुरुद्वारा बनाया गया था, जिसे गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ साहिब नाम दिया गया. सिख धर्म में दीपावली के पर्व पर तब से ही ‘बंदी छोड़ दिवस’ मनाया जाता है.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।