जुस्को श्रमिक यूनियन का चुनाव नवम्बर के पहले सप्ताह में होने की संभावना
उदित वाणी, जमशेदपुर: जुस्को श्रमिक यूनियन पर आए हाई कोर्ट के फैसले की सर्टिफायड कॉपी शुक्रवार 21 अक्टूबर को मिल गई. कॉपी मिलते ही रघुनाथ खेमा अधूरी चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है.
सूत्रों का कहना है कि नवम्बर के पहले सप्ताह में यूनियन का चुनाव संभव है. उधर, विपक्षी खेमा हाई कोर्ट के फैसले के बाद बैकफूट पर है. वैसे कहा जा रहा है कि जायसवाल खेमा हाई कोर्ट के फैसले पर कानूनी सलाह ले रहा है ताकि इसे डबल बेंच में चुनौती दी सके.
उल्लेखनीय है कि पिछले मंगलवार को जुस्को श्रमिक यूनियन के चुनाव और वैधता मामले में झारखंड हाई कोर्ट का फैसला आया था. कोर्ट ने यूनियन के निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय के पक्ष में फैसला देते हुए अधूरी चुनाव प्रक्रिया को जारी रखने का आदेश दिया था.
कोर्ट ने यूनियन के विरोधी खेमे के नेता गोपाल जायसवाल की ओर से हाई कोर्ट में दाखिल याचिका को तो खारिज किया ही, श्रमायुक्त के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें रघुनाथ पांडेय द्वारा कराई गई आमसभा को अवैध करार दिया गया था.
जायसवाल ने जून 2022 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दोबारा चुनाव प्रक्रिया कराने की मांग की थी. क्या रघुनाथ पांडेय नामांकन प्रक्रिया को दोबारा कराएंगे?
इस फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या रघुनाथ पांडेय चुनाव में नामांकन प्रक्रिया को दोबारा कराएंगे? अध्यक्ष पद के तीन उम्मीदवार में से दो रिटायर हो चुके हैं. यही नहीं जेनरल सेक्रेटरी के उम्मीदवार भी रिटायर हो गये हैं.
पिछले ढ़ाई साल में कोरोना के चलते कई कर्मचारियों का निधन हुआ है. इन ढ़ाई साल में 96 कर्मचारी या तो रिटायर हो गये या उनका निधन हो गया है. यही नहीं कई नये कर्मचारियों ने जुस्को ज्वाइन किया है.
ढ़ाई साल से विवाद में यूनियन
जुस्को श्रमिक यूनियन का विवाद पिछले ढ़ाई साल से चल रहा था. यूनियन का कार्यकाल मार्च 2020 में ही खत्म हो गया था. मार्च माह के अंत में चुनाव होने वाला था, लेकिन देश भर में ल़ॉक़डाउन लगने के बाद चुनाव को स्थगित कर दिया गया.
इसी बीच जुस्को यूनियन के विरोधी खेमा के नेता एसएल दास ने डीएलसी को पत्र देकर रघुनाथ पांडेय द्वारा कराई गई आमसभा की वैधता को चुनौती दे दी और आरोप लगाया कि इसमें विरोधी खेमे के नेताओं को शामिल नहीं होने दिया गया. डीएलसी को सौंपे पत्र में उन्होंने प्रमाण समेत यह आरोप लगाया था कि रघुनाथ पांडेय ने अपना को-ऑप्शन खुद कर लिया.
इस आरोप पर श्रम विभाग ने जांच की और आमसभा को अवैध करार दिया. श्रमायुक्त के इस फैसले को रघुनाथ पांडेय ने हाई कोर्ट में चुनौती दी. अभी हाई कोर्ट में यह मामला चल ही रहा था कि गोपाल जायसवाल ने भी दोबारा चुनाव प्रक्रिया चालू करने की मांग की. लेकिन इन दोनों याचिकाओं को हाई कोर्ट ने खारिज कर रघुनाथ पांडेय के पक्ष में फैसला दे दिया.
अक्टूबर 2020 में शुरू हुई थी चुनाव प्रक्रिया
कोविड के संक्रमण कम होने के बाद अक्टूबर 2020 में जुस्को श्रमिक यूनियन की प्रक्रिया शुरू हुई. प्रक्रिया के तहत 3-4 नवम्बर को चुनाव होने थे. इस बीच नामांकन भरने से लेकर प्रत्याशियों की अंतिम सूची तक जारी हो गई. लेकिन येन वक्त पर तत्कालीन डीसी सूरज कुमार ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी.
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