उदित वाणी, जमशेदपुर: कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गंगाधर पंडा ने कहा कि जबतक हम खुद जिम्मेदार नहीं बनेंगे, तबतक कार्बन उत्सर्जन को कम नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि हमें कम से कम वाहनों का इस्तेमाल करना होगा. कार पूलिंग जैसी व्यवस्था का पालन करना होगा. वहीं साइकिल के ज्यादा से ज्यादा उपयोग पर ध्यान देना होगा. इसके साथ ही आर्गेनिक चीजों के इस्तेमाल पर ध्यान देना होगा.
शुक्रवार को जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के जूलॉजी विभाग और आईक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वावधान में ओजोन लेयर संरक्षण विषय पर आयोजित वेबिनार में बोल रहे थे. कुलपति ने इस क्रम में ओजोन लेयर को संरक्षित रखने के लिए विश्व में हो रहे कार्बन उत्सर्जन को कम करने की वकालत की. कहा कि हर एक व्यक्ति को अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी होगी.
उन्होंने कॉलेज के शिक्षकों, छात्रों व आमलोगों को कार पूलिंग की अवधारणा को आत्मसात करने की बात कही. कहा कि एक जगह दो-चार लोग काम करते हैं, वे अगर अपनी अलग-अलग कार के बजाय एक कार से ऑफिस आना-जाना करें तो बहुत फर्क आ सकता है.
इस क्रम में उन्होंने कहा कि अगर गाय के गोबर से बने उपले की राख से अगर बर्तन मांजा जाए और उन बर्तनों में नियमित भोजन किया जाए तो यह न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद होता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अहम साबित हो सकता है. आज जो रासायनिक उत्पाद हम बर्तन मांजने के साबुन के तौर पर कर रहे हैं, वह पर्यावरण के लिए विनाशकारी है.
वेबिनार में विनोबा भावे विवि के रसायन विभाग के पीजी हेड डॉ. इंद्रजीत कुमार मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि 35 किमी मोटाई वाले ओजोन लेयर पर लगातार खतरा बढ़ रहा है. उन्होंने भी इसके लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करने की बात कही. ओजोन लेयर के घटने से सूर्य की रोशनी प्रचंड रूप अख्तियार कर लेगी जो त्वचा के कैंसर का प्रमुख कारण होगा.
वेबिनार में वक्ताओं का स्वागत कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने किया. मुख्य वक्ता का परिचय को-ऑपरेटिव जूलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. स्वाति सोरेन ने किया. इस दौरान मंच संचालन डॉ. स्वाति वत्स ने किया. मौकेपर डॉ. नीता सिन्हा, अशोक कुमार रवानी, डॉ. संगीता कुमारी उपस्थित थे.
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