चुनाव आयोग के संभावित फैसले को लेकर डैमेज कंट्रोल के लिए एहतियात बरत रहे हेमंत ने गठबंधन दलों की बैठक में अब विधायकों की हर समस्या का समाधान करने का दिया आश्वासन
उदित वाणी, रांची: ऑफिस ऑफ प्रोफिट मामले में चुनाव आयोग के संभावित फैसले को लेकर डैमेज कंट्रोल के लिए एहतियात बरत रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अब विधायकों की हर समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है.
शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में यूपीए गठबंधन दलों के विधायकों के साथ आयोजित अहम बैठक में हेमंत सोरेन कहा कि सत्तापक्ष के विधायकों की हर समस्या को दूर करने के लिए जल्द ही एक मोबाइल नंबर जारी किया जायेगा.
जिसके माध्यम से सत्तापक्ष के सभी विधायक अपनी शिकायतें व समस्याओं को फोन करके अथवा व्हाट्सएप के माध्यम से बता सकेंगे. विधायकों की समस्या व शिकायतों का समाधान 12 घंटे के अंदर कर दिया जायेगा.
यही नहीं मुख्यमंत्री अब प्रत्येक राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के पहले सत्तापक्ष के विधायकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा भी करेंगे और विधायक से नीतिगत मामलों व विकास संबंधी मुद्यों पर उनकी सलाह लेंगे.
गौरतलब है कि सत्तापक्ष के विधायकों की हमेशा शिकायत रहती थी कि उनकी बातें नहीं सुनी जा रही है. अब मुख्यमंत्री ने सत्तापक्ष के विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए उक्त अहम निर्णय लिया है. लिहाजा सियासी हलचल के बीच लगभग तीन घंटे तक चली इस अहम बैठक के बाद विधायकों ने एक सुर से राज्य में किसी तरह के राजनीतिक संकट उत्पन्न होने संबंधी अटकलों को नकार दिया और कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उन्होंने अपना नेता माना है और गठबंधन के मुखिया वही रहेंगे.
विधायकों ने कहा कि सरकार के भविष्य व संकट को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है. कहा गया कि बैठक में मंत्रियों व विधायकों ने मुख्यमंत्री के साथ क्षेत्रवार कम बारिश की वजह से सुखाड़ की स्थिति पर गहन चर्चा व विचार-विमर्श किया गया. सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि उनके क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर जो समस्याएं आ रही है.
उनका जल्द समाधान किया जाय. इसके अलावा कई और महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया. वहीं मुख्यमंत्री ने विधायको के सभी बातों को गंभीरता पूर्वक सुना और सत्ता पक्ष के मंत्रियों एवं विधायकों द्वारा उठाए गए जनहित के मुद्दों पर पूर्ण रूप से राज्य सरकार द्वारा सहयोग दिए जाने का भरोसा दिया.
झामुमो के तीन व कांग्रेस के दो विधायक बिना सूचना दिए बैठक से रहे नदारद झामुमो के चमरा लिंडा, समीर मोहंती व सरफऱाज़ अहमद तथा कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह व भूषण बाड़ा बगैर किसी सूचना के बैठक में शामिल नहीं हुए.
इनमें विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह मौजूदा सरकार के खिलाफ पहले से ही मुखर रही है. हावड़ा कैशकांड के बाद उन्होंने कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह के खिलाफ भी आवाज उठाई थी.
उन्होंने कहा था कि जयमंगल सिंह के खिलाफ मामला क्यों नहीं दर्ज कराया जाय. वहीं हावड़ा कैशकांड के आरोपी कांग्रेस के निलंबित विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोनगाड़ी व राजेश कच्छप भी कोलकाता में होने की वजह से बैठक में शामिल नहीं हुए.
जबकि कांग्रेस की ममता देवी स्वास्थ्य कारणों से बैठक में शामिल नहीं हुई और कांग्रेस की मांडर की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की दिल्ली में होने की वजह से बैठक में नहीं पहुंची.
सोरेन परिवार के लिए अगस्त का महीना काफी अहम
इधर अगस्त का महीना सोरेन परिवार के लिए अति महत्वपूर्ण हो गया है. इसी महीने जहां मुख्यमंत्री के विधायकी को लेकर चुनाव आयोग का फैसला आनेवाला है.
वहीं मुख्यमंत्री के छोटे भाई विधायक बसंत सोरेन की सदस्यता को लेकर भी 22 अगस्त को चुनाव आयोग में अंतिम सुनवाई होनेवाली है और बसंत के मामले में भी चुनाव आयोग का फैसला कभी भी आ सकता है.
वहीं मुख्यमंत्री के पिता झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को भारत के लोकपाल ने आय से अधिक संपत्ति की शिकायत से जुड़े एक मामले में 25 अगस्त को पेश होने का निर्देश दिया है. लोकपाल के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी एवं सदस्य महेंद्र सिंह व इंद्रजीत पी गौतम की पीठ में मामले में सुनवाई होनेवाली है.
शिबू सोरेन के खिलाफ 5 अगस्त 2020 को शिकायत दर्ज की गई थी. जिसमें आरोप है कि वह और उनके परिवार के सदस्य बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।