उदित वाणी, प्रयागराज: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर मां गंगा की पूजा-अर्चना की. उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे. जैसे ही प्रधानमंत्री संगम पहुंचे, वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने ‘मोदी-मोदी’ के नारों से वातावरण गुंजा दिया. प्रधानमंत्री ने हाथ हिलाकर सभी का अभिवादन किया.
प्रयागराज महाकुंभ में आज पवित्र संगम में स्नान के बाद पूजा-अर्चना का परम सौभाग्य मिला। मां गंगा का आशीर्वाद पाकर मन को असीम शांति और संतोष मिला है। उनसे समस्त देशवासियों की सुख-समृद्धि, आरोग्य और कल्याण की कामना की। हर-हर गंगे! pic.twitter.com/ggovSSvhbF
— Narendra Modi (@narendramodi) February 5, 2025
संगम स्नान के बाद पीएम मोदी की खास भावना
त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने लिखा,
“प्रयागराज महाकुंभ में आज पवित्र संगम में स्नान के बाद पूजा-अर्चना का परम सौभाग्य मिला. मां गंगा का आशीर्वाद पाकर मन को असीम शांति और संतोष मिला है. उनसे समस्त देशवासियों की सुख-समृद्धि, आरोग्य और कल्याण की कामना की. हर-हर गंगे!”
महाकुंभ में पीएम मोदी की दूसरी यात्रा
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी, पौष पूर्णिमा के दिन हुई थी, जो 26 फरवरी, महाशिवरात्रि तक चलेगा. इससे पहले, प्रधानमंत्री 13 दिसंबर 2024 को प्रयागराज की यात्रा कर चुके हैं. उस दौरान उन्होंने 5,500 करोड़ रुपये की 167 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया था.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi to shortly take a holy dip at Triveni Sangam in Prayagraj, Uttar Pradesh
(Source: ANI/DD) #KumbhOfTogetherness pic.twitter.com/3F2guB1ElQ
— ANI (@ANI) February 5, 2025
संगम तट पर रुद्राक्ष माला से जाप, परिक्रमा और गंगा अवलोकन
महाकुंभ मेले के दौरान प्रधानमंत्री रुद्राक्ष की माला से जाप करते हुए दिखाई दिए. उन्होंने बोट से त्रिवेणी संगम का अवलोकन किया. इसके बाद, पवित्र धारा में स्नान कर अपनी स्थिति पर परिक्रमा भी की.
5 फरवरी को ही क्यों किया संगम स्नान?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्नान के लिए न तो मौनी अमावस्या और न ही बसंत पंचमी का चयन किया, बल्कि 5 फरवरी 2025 का दिन चुना. इस दिन का धार्मिक महत्व अत्यंत विशेष माना जाता है.
5 फरवरी का धार्मिक महत्व: गुप्त नवरात्रि और भीष्माष्टमी
हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 फरवरी माघ मास की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि है. यह तिथि तप, ध्यान और साधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन स्नान, जप और तप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
इसी दिन भीष्माष्टमी भी मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में भीष्म पितामह ने बाणों की शय्या पर लेटे हुए सूर्य के उत्तरायण होने और शुक्ल पक्ष की प्रतीक्षा की थी. माघ मास की अष्टमी को उन्होंने श्रीकृष्ण की उपस्थिति में अपने प्राणों का त्याग किया, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई.
महाकुंभ 2025: श्रद्धालुओं के लिए विशेष अवसर
महाकुंभ के दौरान संगम स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए उत्साह और आस्था का नया संचार लेकर आई है.
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