* पेसा नियमावली का मामला फिलहाल स्थगित, ग्राम सभा की अनुमति से आदिवासी बहुल क्षेत्र में खुलेगी शराब दुकानें, बार लाईंसेंस भी मिलेगा
* सीएनटी एक्ट के तहत जमीन की खरीद-बिक्री मामले में थाना क्षेत्र की बाध्यता को लेकर गठित होगा आयोग
* भाजपा कोटे के टीएसी सदस्य बाबूलाल मरांडी व चंपाई सोरेन बैठक में नहीं हुए शामिल
उदित वाणी, रांची : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में बुधवार को झारखंड मंत्रालय के सभाकक्ष में आयोजित झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् [टीएसी] की बैठक में कई अहम फैसले लिये गए. टीएसी द्वारा स्वर्णरेखा बहुद्येश्यीय परियोजना अंतर्गत पश्चिम सिंहभूम जिला में प्रस्तावित ईंचा-खरकई बांध निर्माण कार्य का पुनर्बहाल करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. परंतु खरकई डैम की उंचाई को कम करके डैम का जलस्तर कम करने पर भी विचार किया गया. ताकि डैम से प्रभावित गांवों की संख्या घटाई जा सके. इसके लिए संबंधित अधिकारियों को होमवर्क करने का निर्देश दिया जायेगा.
अधिकारियों द्वारा ईंचा-खरकई बांध से हो रहे विस्थापित जनजाति समुदाय समेत अन्य व्यक्तियों पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में प्रभावित ग्रामों की वर्तमान स्थिति का भौतिक सत्यापन करते हुए फोटो व वीडियो के साथ एक जांच प्रतिवेदन तैयार कर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन [पीपीटी] के माध्यम से पेश किया जायेगा. उक्त प्रतिवेदन के आधार पर ईंचा-खरकई बांध को लेकर अंतिम निर्णय लिया जायेगा. इसके साथ ही बैठक में आदिवासियों के समग्र विकास एवं भाषा-संस्कृति के संरक्षण को लेकर भी चर्चा की गई और कई बिषयों पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया. टीएसी में शेड्यूल एरिया में 50 प्रतिशत से अधिक आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत क्षेत्रों में ग्रामसभा की अनुमति से ऑफ प्रकृति की खुदरा शराब दुकानों की बंदोबस्ती किए जाने संबंधी महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर सहमति बनी. जिसके तहत पर्यटन को बढ़ावा देने, राजस्व हित एवं अवैध मदिरा पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में होटल, रेस्तरां एवं बार-रेस्तरां एवं बार-क्लब का लाईसेंस देन पर भी सहमति बनी है. कुछ सदस्यों ने जनजातीय समाज के लोगों को ही शराब की दुकान आवंटित करने को लेकर विचार करने का आग्रह किया. जिसपर ग्राम सभा की सहमति लेने की बात कही गई.
वहीं टीएसी के वरिष्ठ सदस्य स्टीफन मरांडी ने बताया कि पेसा नियमावली के मामले को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. नियमावली को लेकर बताया गया कि पहले जेपीआर-1 में संशोधन किया जाएगा. उसके बाद ही पेसा नियमावली का गठित किया जाएगा. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम [सीएनटी] एक्ट के तहत जमीन की खरीद-बिक्री मामले में थाना क्षेत्र की बाध्यता को लेकर आयोग गठित करने का निर्णय लिया गया. उक्त आयोग द्वारा 6 महीने के भीतर सभी पहलुओं का अध्ययन करते हुए एक प्रतिवेदन टीएसी के समक्ष पेश किया जायेगा. वन अधिकार योजना अंतर्गत अबुआ बीर दिशोम अभियान के तहत हर 2 माह में वनपट्टा का वितरण अनिवार्य रूप से करने पर सहमति व्यक्त की गई. वनपट्टा आच्छादित परिवारों के विद्यार्थियों एवं बच्चे-बच्चियों के आवासीय एवं जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने में जो व्यवधान अथवा कठिनाइयां उत्पन्न हो रही है. उसका समाधान निकालने का फैसला लिया गया. बोकारो जिला के ललपनिया में आदिवासी धार्मिक स्थल लगुबुरु में डीवीसी द्वारा प्रस्तावित पनबिजली परियोजना को स्थगित किए जाने की जानकारी डीवीसी व भारत सरकार को दिये जाने को लेकर सदस्यों को अवगत कराया गया.
टीएसी में राज्यपाल की जगह सीएम को संवैधानिक अधिकार देने के निर्णय को पूरी तरह से वैध बताया गया तथा भाजपा द्वारा टीएसी की वैधता को लेकर उठाये जा रहे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया. ज्ञात हो कि हेमंत सरकार द्वारा नियमावली गठित कर टीएसी में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को अधिकार दिया गया है. वहीं राज्य में प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा द्वारा टीएसी की वैधता पर सवाल उठाते हुए बैठक का बहिष्कार किया. ज्ञात हो कि टीएसी में भाजपा के कोटे से नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी व पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन टीएसी के सदस्य बनाये गये हैं. मरांडी और सोरेन टीएसी की बैठक में नहीं गए. लेकिन बाकी 19 सदस्यों में से 17 सदस्य बैठक में शामिल हुए.
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