नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने शनिवार शाम पुष्टि की कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम लागू हो गया है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी कि यह सीजफायर भारत की शर्तों पर हुआ है और 12 मई को दोनों देशों के DGMO के बीच पुनः वार्ता होगी.
DGMO स्तर पर हुई सहमति
शनिवार दोपहर पाकिस्तान के DGMO द्वारा की गई टेलीफोनिक बातचीत के बाद यह सहमति बनी. भारत ने स्पष्ट किया कि यह फैसला पूरी तरह भारत की शर्तों पर आधारित है और आगे की रणनीति भी उसी अनुरूप तय की जाएगी.
जयशंकर ने दी जानकारी, भारत का रुख आतंकवाद के प्रति अडिग
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि भारत और पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई और गोलीबारी रोकने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि भारत हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ पहले की तरह दृढ़ बना रहेगा.
अमेरिका की भूमिका: ट्रंप की मध्यस्थता से बना रास्ता
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं. ट्रंप ने ट्रूथ सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि अमेरिका की मध्यस्थता में लंबी रात चली वार्ता के बाद यह सहमति बनी. उन्होंने दोनों देशों की समझदारी की सराहना की.
48 घंटे की गहन बातचीत में शामिल रहे शीर्ष नेता
अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने बताया कि पिछले 48 घंटे से वह, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और अन्य अधिकारी भारत और पाकिस्तान के उच्चाधिकारियों के साथ लगातार बातचीत में शामिल रहे. इसमें भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल जबकि पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख असीम मुनीर और एनएसएस असीम मलिक शामिल थे.
भारत की नई नीति: आतंकी हमला होगा युद्ध की कार्रवाई
भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि भविष्य में किसी भी प्रकार की आतंकी घटना को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा. उच्च स्तर के सूत्रों ने कहा कि अब भारत की नीति स्पष्ट है—हर आतंकी हरकत का उत्तर सैन्य जवाब से दिया जाएगा.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बढ़ा तनाव
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई की सुबह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और पीओके के नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था. इसके बाद पाकिस्तान ने जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू किए, जिनमें से अधिकांश भारतीय सेना ने निष्क्रिय कर दिए.
अमेरिका को आना पड़ा मध्यस्थता में
तेजी से बढ़ते तनाव और सैन्य टकराव की आशंका को देखते हुए अमेरिका को मध्यस्थता करनी पड़ी. इसके बाद ही यह युद्धविराम संभव हो सका.
(IANS)
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