* सीबीए एक्ट में संशोधन करें, खनन के पश्चात कंपनियों को भूमि राज्य सरकार को वापस देने का हो प्रावधान
* सीएसआर फंड व डीएमएफटी फंड को राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में समाहित करें
* झारखंड में डेडीकेटेड इंडस्ट्रियल माइनिंग कॉरिडोर विकसित हो
* क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंट क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विस्तार को प्राथमिकता दें
उदित वाणी, रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की 10 वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में खनन कंपनियों द्वारा ली गई भूमि के मुआवजा के मामले में बकाया 1 लाख 40 हजार 435 करोड़ रूपये यथाशीघ्र देने की मांग की. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सीबीए एक्ट में संशोधन करने तथा खनन कार्य पूरा होने के पश्चात कंपनियों को भूमि राज्य सरकार को वापस देने संबंधी प्रावधान करने का भी आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अनाधिकृत खनन पर कम्पनियों की जबाबदेही भी तय की जानी चाहिए. वहीं उन्होंने कहा कि झारखंड में कोल बेस्ड मीथेन गैस की बहुतायत है. जिसका तकनीकी रुप से इस्तेमाल कर ऊर्जा उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है. इसके लिए राज्य में खनन कंपनियों को कैप्टिव प्लांट लगाने की अनिवार्यता का प्रावधान करते हुए कुल उत्पादन का 30 प्रतिशत राज्य में इस्तेमाल होने से संबंधित प्रावधान किया जाना चाहिए. मिथेन गैस के प्लांट लगाने से रोजगार सृजन में भी वृद्धि होगी.
वहीं उन्होंने कहा कि प्रदेश का वन क्षेत्र पूर्वोत्तर राज्यों के समकक्ष है. जिससे आधारभूत संरचना के लिए क्लियरेंस में देरी से बाधा उत्पन्न होती है. इसका निवारण किया जाए और पूर्वोत्तर राज्यों को मिलने वाली बिशेष सहायता झारखंड को भी प्रदान की जाय. मुख्यमंत्री ने राज्य में रेल परिचालन में बढ़ोत्तरी करने और कंपनियों के सीएसआर फंड व डीएमएफटी फंड को राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में समाहित करने का प्रावधान करने की मांग की. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का साहेबगंज जिला कार्गो हब की दृष्टि से बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता है. गंगा नदी पर अतिरिक्त पुल का निर्माण या उच्च स्तरीय बांध बनाना भी महत्वपूर्ण है. क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंट क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विस्तार को प्रथमिकता देना पड़ेगा. राज्य में डेडीकेटेड इंडस्ट्रियल माइनिंग कॉरिडोर विकसित करने से सामान्य परिचालन में सुविधा बढ़ जायेगी.
मुख्यमंत्री ने उग्रवाद की समस्या से निवारण के लिए सीएपीएफ की प्रतिनियुक्ति से संबंधित प्रतिधारण शुल्क राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बर्ष 2014 में राज्य के 16 जिले इससे प्रभावित था. जो अब 2 जिलों पश्चिमी सिंहभूम एवं लातेहार तक सिमट गया है. फिर भी बिशेष केंद्रीय सहायता को सभी 16 जिले में लागू रखने की आवश्यकता है. वहीं उन्होंने कहा कि 16 वें वित्त आयोग द्वारा संघीय व्यवस्था में केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच राजस्व के बंटवारे को लेकर बनायी गई प्रक्रिया में राजस्व के वर्टिकल डेवल्यूशन 41 प्रतिशत को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की जरूरत है. साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि बर्ष 2017 से जीएसटी अधिनियम लागू होने के उपरांत झारखंड जैसे विनिर्माता राज्य होने से राजस्व संग्रहण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. प्रारंभिक 5 बर्षों के लिए राज्य को 14 प्रतिशत प्रोटेक्टेड रेवेन्यू के तहत केन्द्र से कंपनसेशन की राशि मिली.
परंतु जून 2022 के बाद से राशि न मिलने से राज्य को हजारों करोड़ का राजस्व हानि हो रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत-2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए झारखंड को अपेक्षित सहयोग प्रदान करने की जरूरत है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने झारखंड सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी नीति आयोग को दी तथा केंद्र सरकार की मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अन्य योजनाओं की राशि में वृद्धि करने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य में लागू सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट के कारण उद्यम में उत्पन्न हो रही कठिनाईयों को वित्त मंत्रालय के समन्वय से अतिशीघ्र निवारण करने की आवश्यकता है.
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