उदित वाणी, नई दिल्ली: नई दिल्ली के भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक आयोजित हुई। इसमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भाग लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष अमिताभ कांत सहित विभिन्न राज्यों के प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने झारखंड की आवश्यकताओं और विकास संबंधी अपने विचार प्रधानमंत्री के समक्ष रखे।
विकसित भारत के लिए विकसित गांवों पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत की कल्पना तभी साकार हो सकती है जब विकसित राज्यों के साथ विकसित गांव भी जुड़ें। उन्होंने गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, युवा कौशल विकास, किसानों का उत्थान, पूर्ण शिक्षा, आर्थिक विकास, आधारभूत संरचना और तकनीकी प्रगति को विकास के मूल स्तंभ बताया। मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को राज्य की जनता की आवश्यकताओं से अवगत कराया।
खनन क्षेत्र में सुधार और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड खनिजों की दृष्टि से समृद्ध है, लेकिन खनन के कारण प्रदूषण और विस्थापन की समस्या गंभीर है। उन्होंने सीबीए एक्ट में संशोधन कर खनन पश्चात कंपनियों से भूमि राज्य सरकार को वापस लेने का प्रावधान बनाने की मांग की। उन्होंने खनन कंपनियों के बकाया भुगतान 1,40,435 करोड़ रुपए को जल्द जारी करने का आग्रह भी किया। इसके अलावा, अनाधिकृत खनन के लिए कंपनियों की जवाबदेही तय करने, कोल-आधारित मीथेन गैस से ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने और खनन कंपनियों को कैप्टिव प्लांट लगाने का सुझाव दिया।
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक योजनाओं पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री ने महिला सशक्तिकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा लगभग 50 लाख महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपए प्रदान करने का उल्लेख किया। साथ ही, उन्होंने पेंशन योजना, मइयां सम्मान योजना और अबुआ स्वास्थ्य योजना जैसी कई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को केंद्र की योजनाओं के अनुरूप सुधारने की बात कही।
परिवहन और आधारभूत संरचना के विस्तार की मांग
झारखंड में रेल परिचालन का विस्तार, साहेबगंज को कार्गो हब के रूप में विकसित करने और गंगा नदी पर अतिरिक्त पुल या उच्च स्तरीय बांध निर्माण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर मुख्यमंत्री ने जोर दिया। उन्होंने क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के लिए स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंट क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विस्तार पर भी बल दिया। साथ ही, राज्य में डेडीकेटेड इंडस्ट्रियल माइनिंग कॉरिडोर विकसित करने का प्रस्ताव रखा।
केंद्र-राज्य सहयोग और राजस्व वितरण पर विचार
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की योजनाओं को राज्यों के अनुसार लागू करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य योजनाओं की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही, सीएनटी और एसपीटी एक्ट से उत्पन्न उद्यमी बाधाओं को वित्त मंत्रालय के समन्वय से शीघ्र निवारित करने की मांग की। उन्होंने राजस्व के बंटवारे में सुधार करते हुए केंद्र और राज्य के बीच वर्टिकल डेवल्यूशन को 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की बात कही। जीएसटी लागू होने के बाद झारखंड जैसे विनिर्माता राज्यों को हुए राजस्व हानि के प्रति भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया।
नक्सल प्रभावित जिलों में विशेष केंद्रीय सहायता बनाए रखने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या कम हुई है, लेकिन 16 जिलों में विशेष केंद्रीय सहायता जारी रखना आवश्यक है। साथ ही, उन्होंने सीएपीएफ की प्रतिनियुक्ति में राज्य सरकार द्वारा वहन किए जाने वाले प्रतिधारण शुल्क को समाप्त करने की भी बात कही।
मजदूर सुरक्षा और विदेश रोजगार में केंद्र की भागीदारी आवश्यक
कोविड महामारी के दौरान मजदूरों की सहायता का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में कैमरून में फंसे मजदूरों को राज्य सरकार ने वापस बुलाया। उन्होंने विदेश में काम करने वाले मजदूरों के वीजा, सुरक्षा और व्यय में केंद्र सरकार की भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग की।
बैठक में शामिल प्रमुख अधिकारी
इस महत्वपूर्ण बैठक में झारखंड की ओर से मुख्य सचिव अलका तिवारी, अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, स्थानिक आयुक्त अरवा राजकमल और योजना सचिव मुकेश कुमार भी उपस्थित थे।
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