उदित वाणी, जमशेदपुर: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुवर दास ने शनिवार को जमशेदपुर के एग्रिको स्थित अपने आवासीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर लिया है कि भाजपा शासनकाल में बनी नीतियां ही राज्यहित में थीं. दास ने झारखंड उत्पाद (मदिरा की खुदरा बिक्री हेतु दुकानों की बंदोबस्ती एवं संचालन) नियमावली 2025 का हवाला देते हुए कहा कि यह नीति स्पष्ट रूप से 2018 में बनी भाजपा सरकार की शराब नीति पर आधारित है. यह एक स्वीकारोक्ति है कि पूर्ववर्ती नीति ही राजस्व वृद्धि और व्यवस्था की दृष्टि से बेहतर थी.
भाजपा नीति से दोगुना हुआ था राजस्व
रघुवर दास ने बताया कि 2018 में जब उनकी सरकार ने शराब नीति लागू की थी, तब राज्य को 1082 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था. केवल एक वर्ष में यह दोगुना होकर 2019-20 में 2009 करोड़ रुपये हो गया. यह प्रमाण है कि नीति दूरदर्शिता और व्यावहारिकता पर आधारित थी.
दो बार नीति बदली, फिर भी नहीं मिली सफलता
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद दो बार शराब नीति में बदलाव किया, लेकिन दोनों ही बार उसे असफलता का सामना करना पड़ा. अंततः सरकार को भाजपा की पुरानी नीति की ओर ही लौटना पड़ा. उन्होंने कहा कि यह बताता है कि भाजपा की नीतियां ही व्यावहारिक थीं, जबकि वर्तमान सरकार की नीतियां भ्रम और स्वार्थ से प्रेरित हैं.
सरकार की रिपोर्ट ने खोली खामियां
दास ने कहा कि सरकार की अपनी रिपोर्ट में भी कई गंभीर खामियां सामने आई हैं. खुदरा दुकानों में पॉपुलर ब्रांड की अनुपलब्धता, एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक्री, बिक्री की अंडर रिपोर्टिंग, समय पर ऑडिट नहीं होना और दुकानदारों की निष्क्रियता जैसी समस्याएं व्यापक रूप से चिन्हित की गई हैं. उन्होंने इसे जनहित की उपेक्षा और अव्यवस्थाजन्य निर्णयों का दुष्परिणाम बताया.
सख्ती से पालन ही ला सकता है बदलाव
रघुवर दास ने कहा कि सरकार यदि अब फिर से 2018 की नीति अपना रही है, तो उसे सख्ती से पालन भी सुनिश्चित करना होगा. केवल कागजी नीति बनाने से परिणाम नहीं आएंगे. प्रेस वार्ता के अंत में उन्होंने कहा कि नीतियों की सफलता नेतृत्व की नीयत, पारदर्शिता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है. भाजपा शासन में यही प्राथमिकताएं थीं, जबकि वर्तमान सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वह जनहित को दरकिनार कर स्वार्थ आधारित फैसले करती है.
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