उदित वाणी, कर्नाटक: कांग्रेस वर्किंग कमेटी (Congress Working Committee) की गुरुवार को कर्नाटक के ऐतिहासिक बेलगावी में विशेष बैठक आयोजित हुई. इस बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए गए और केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखे सवाल उठाए गए.
केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप
बैठक में भाजपा द्वारा संविधान की अवहेलना, बाबा साहेब आंबेडकर के अपमान, किसानों की अनदेखी और चीन के साथ सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर केंद्र की मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की गई.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की हालिया टिप्पणी पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई और इसे आरएसएस-बीजेपी के “संविधान-विरोधी प्रोजेक्ट” का हिस्सा बताया. कार्यसमिति ने इस टिप्पणी के लिए अमित शाह से इस्तीफे और देश से माफी की मांग दोहराई.
लोकतंत्र की कमजोर होती बुनियाद
पहले दिन की बैठक में कांग्रेस ने लोकतंत्र को कमजोर किए जाने पर गहरी चिंता जताई. प्रस्ताव में कहा गया कि न्यायपालिका, चुनाव आयोग और मीडिया जैसे संस्थानों का राजनीतिकरण किया जा रहा है.
कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न संसद के शीत सत्र का हवाला देते हुए कहा कि सत्तापक्ष के व्यवधानों के कारण संसद की गरिमा गिर रही है. “एक देश, एक चुनाव” विधेयक को संघीय ढांचे पर हमला बताया गया.
आरक्षण और जनगणना पर जोर
कांग्रेस ने सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना जल्द से जल्द कराने और अनुसूचित जाति/जनजाति व ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाने की मांग की.
प्रस्ताव में कहा गया कि आरक्षण का निर्धारण सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए.
आर्थिक नीतियों पर सवाल
कार्यसमिति ने निजी निवेश में सुस्ती और स्थिर खपत पर चिंता जताई. आगामी केंद्रीय बजट में गरीबों के लिए आय सहायता और मध्यम वर्ग को टैक्स में राहत देने की मांग की.
कांग्रेस ने जीएसटी 2.0 की अपनी मांग को दोहराते हुए इसे सरल और प्रभावी टैक्स प्रणाली बताया.
विदेश नीति: चीन पर चर्चा
पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव को लेकर विदेश मंत्री की घोषणा पर कांग्रेस ने सवाल उठाए. इसे भारत के घोषित लक्ष्य से पीछे हटने का संकेत बताया.
पार्टी ने एलएसी पर मौजूदा स्थिति पर संसद में विस्तृत चर्चा कराने और विपक्ष को विश्वास में लेने की मांग की.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
कांग्रेस ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों पर चिंता व्यक्त की. पार्टी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से मिलकर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.
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