✍ डॉ. प्रभाकर, हेड कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजी विभाग, टाटा मेन हॉस्पिटल, जमशेदपुर
उदित वाणी, जमशेदपुर: किडनी हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में एक मौन लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ये बीन्स के आकार के अंग शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर करते हैं, तरल संतुलन बनाए रखते हैं, रक्तचाप नियंत्रित करते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में सहायक होते हैं. ये सभी कार्य तब तक आमतौर पर नजरअंदाज किए जाते हैं जब तक कि कोई समस्या उत्पन्न न हो जाए.
दुनियाभर में लाखों लोग किडनी रोगों से प्रभावित हैं, इसलिए इस विषय पर जागरूकता बेहद आवश्यक है. भारत में किए गए अध्ययन बताते हैं कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) की व्यापकता 7.5% से 17.2% के बीच है. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों और कृषि रसायनों के उच्च संपर्क में रहने वाली आबादी में यह समस्या अधिक देखी गई है. झारखंड जैसे कृषि-प्रधान राज्यों के लिए यह विशेष रूप से चिंताजनक हो सकता है.
विश्व किडनी दिवस
“स्वस्थ किडनी के लिए शुरुआती पहचान को प्राथमिकता दें” थीम के साथ विश्व किडनी दिवस, किडनी के स्वास्थ्य के महत्व को वैश्विक स्तर पर रेखांकित करता है. इस वर्ष का संदेश किडनी की समस्याओं को जल्द से जल्द पहचानने और गंभीर होने से पहले उपचार शुरू करने की आवश्यकता पर बल देता है.
किडनी के प्रमुख कार्य
✅ शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को बाहर निकालना
✅ रक्तचाप को नियंत्रित करना
✅ इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखना
✅ लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में सहायता करना
✅ हड्डियों की सेहत बनाए रखना
सामान्य जोखिम कारक
⚠ मधुमेह
⚠ हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप)
⚠ हृदय रोग
⚠ मोटापा
⚠ पारिवारिक इतिहास में किडनी रोग की मौजूदगी
अन्य कारक:
तीव्र गुर्दा चोट
गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं
स्वप्रतिरक्षित रोग
कम जन्म वजन
बार-बार गुर्दे में पथरी बनना
जन्मजात विकृतियां
किडनी रोग: “साइलेंट किलर”
किडनी रोग को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है क्योंकि यह बिना किसी लक्षण के धीरे-धीरे बढ़ सकता है. लेकिन समय पर जांच कराने से रोग की प्रगति को रोका जा सकता है. यही नहीं, इसकी जटिलताओं को कम किया जा सकता है और उपचार के परिणामों में सुधार होता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है.
जोखिम में रहने वाले लोगों के लिए आवश्यक जांच
🔹 रक्त परीक्षण: सीरम क्रिएटिनिन और GFR की जांच
🔹 मूत्र परीक्षण: प्रारंभिक किडनी क्षति का पता लगाने के लिए
🔹 रक्तचाप निगरानी: हाई BP किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है
🔹 इमेजिंग टेस्ट: संरचनात्मक समस्याओं की पहचान के लिए
🔹 किडनी बायोप्सी: जब आवश्यक हो
रोकथाम के उपाय
✔ स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
✔ भरपूर पानी पिएं
✔ कम नमक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन करें
✔ नियमित रूप से व्यायाम करें
✔ स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों का प्रबंधन करें
✔ रक्तचाप, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में रखें
✔ हानिकारक पदार्थों से बचें
✔ बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन न करें
✔ धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन न करें
✔ नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं
✔ समय-समय पर किडनी की कार्यक्षमता की निगरानी के लिए आवश्यक परीक्षण करवाएं
✔ अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें
✔ अगर थकान, सूजन, पेशाब में बदलाव या पीठ दर्द जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें.
निष्कर्ष
स्वस्थ आदतें अपनाकर और जोखिम कारकों के प्रति सतर्क रहकर आप अपनी किडनी की रक्षा कर सकते हैं और जीवनभर अच्छी सेहत बनाए रख सकते हैं.
स्वस्थ रहें, अपनी किडनी की देखभाल करें!
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