उदित वाणी, नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने सेवा वितरण को बेहतर बनाने और सदस्यों के जीवन को सरल बनाने के उद्देश्य से पीएफ खाते के हस्तांतरण की प्रक्रिया को सुगम बनाया है. अब नौकरी बदलने पर पीएफ हस्तांतरण के लिए अधिकांश मामलों में पिछले या वर्तमान नियोजक के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी.
नए नियमों से क्या बदलेगा?
संशोधित प्रक्रिया लागू होने के बाद, लगभग 1.30 करोड़ स्थानांतरण दावों में से 94% (लगभग 1.20 करोड़ दावे) सीधे ईपीएफओ को भेजे जाएंगे, बिना किसी नियोजक के हस्तक्षेप के. इससे दावों के निपटारे में तेजी आएगी और सदस्यों को अनावश्यक देरी से राहत मिलेगी.
ऑटो-जेनरेटेड दावे बढ़े
ईपीएफओ ने 1 अप्रैल 2024 से अब तक लगभग 1.30 करोड़ स्थानांतरण दावे ऑनलाइन प्राप्त किए हैं. इनमें से 45 लाख दावे ऑटो-जेनरेटेड हैं, जो कुल दावों का 34.5% हिस्सा हैं.
सदस्यों और नियोजकों को होंगे ये फायदे
दावों का त्वरित निपटारा: संशोधित प्रक्रिया के तहत सदस्यों द्वारा दावे की प्रक्रिया में लगने वाला समय कम होगा.
शिकायतों में कमी: वर्तमान में कुल शिकायतों का 17% स्थानांतरण संबंधी मुद्दों से जुड़ा है. नए नियमों से इसमें कमी आने की उम्मीद है.
व्यापार में सुगमता: बड़े नियोजकों के लिए, जिनके पास अधिक अनुमोदन कार्य होता है, यह प्रक्रिया काम को आसान बनाएगी.
ईपीएफओ की तकनीकी और प्रबंधन में प्रगति
यह पहल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सदस्य-अनुकूल नीतियों को लागू करने और ईपीएफओ की दक्षता को बढ़ाने का प्रमाण है. संशोधित प्रक्रिया के तहत स्थानांतरण दावे सीधे ईपीएफओ द्वारा संसाधित किए जाएंगे, जिससे सदस्यों को तेज़, सुरक्षित और बाधारहित सेवाएं मिलेंगी.
सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक
ईपीएफओ की यह पहल सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है जो प्रक्रियाओं को सरल बनाने और सदस्यों के लिए भरोसेमंद सेवाएं प्रदान करने पर आधारित है. यह कदम न केवल सेवाओं को बेहतर बनाएगा बल्कि सदस्यों के जीवन को सरल और सुविधाजनक भी बनाएगा.
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