उदित वाणी, जमशेदपुर: झारखण्ड के पूर्व वन सेवा अधिकारी 95 वर्षीय डॉ पीटर पॉल हेम्ब्रम का निधन 28 नवंबर को हुआ. इसे लेकर सीएम हेमंत सोरेन नेट्वीट भी किया, उन्होंने लिखा ” पूर्व वन सेवा अधिकारी और होड़ोपैथी को नया आयाम देने वाले डॉ पीटर पॉल हेम्ब्रम जी के निधन की दुःखद सूचना मिली. डॉ हेम्ब्रम जी ने होड़ोपैथी चिकित्सा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण देने में महती भूमिका निभाई थी. परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह घड़ी सहन करने की शक्ति दे.”
कौन हैं डॉ पीटर पॉल हेम्ब्रम
धरती आबा के वंशज के निधन की ख़राब हर जगह लोगो ने जानी थी लेकिन बहुत से लोग डॉ पीटर पॉल हेम्ब्रम के बारे में नहीं जानते. खूंटी में जन्मे हेम्ब्रम गिरिडीह में रहते थे. उनकी 4 बेटे और 2 बेटियां भी हैं. वह एक प्रतिभाशाली लेखक थे, उन्होंने झारखंड की जातीय चिकित्सा और झारखंडी आदिवासी चिकित्सा पद्धति पर कई किताबें लिखी थीं. हेम्ब्रम ने कुछ वर्षों तक वन अधिकारी (DFO) के रूप में कार्य किया और बाद में वे संताल परगना में आदिवासी सहकारी अधिकारी के पद पर स्थानांतरित हो गए. उनका मुख्य कार्य आदिवासी समुदाय, विशेषकर पहाड़िया जनजाति, को साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने में मदद करना था. आज भी पहाड़िया लोग उन्हें हेम्ब्रम साहेब के रूप में याद करते हैं. हेम्ब्रम भारतीय एथ्नोबोटैनिकल सोसाइटी के सक्रिय सदस्य थे. उनकी विशेषज्ञता झारखंड की जातीय चिकित्सा पद्धति थी. वे हर पौधे, हर पेड़, हर लता, और हर झाड़ी को उनके वैज्ञानिक नामों और सभी भारतीय भाषाओं में उनके औषधीय उपयोगों के साथ जानते थे. हेम्ब्रम और उनके भाई लॉरेंस हेम्ब्रम के सहयोग से, सत्या में पहाड़िया सेवा समिति पिछले 35 वर्षों से हर्बल चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है. उनका सिद्धांत था कि ज्ञान को छिपाना नहीं चाहिए, बल्कि उसे लोगों के उत्थान के लिए साझा किया जाना चाहिए. इसलिए पारंपरिक चिकित्सकों के विपरीत, जो कभी अपनी दवाओं का रहस्य नहीं बताते थे, हेम्ब्रम का यह मानना था कि ज्ञान को साझा करना चाहिए और चिकित्सा पद्धतियों में कोई गुप्तता नहीं होनी चाहिए.
लिखी जा चुकी है किताब
P. A. Chacko. S. J.एक जेसुइट हैं जिन्होंने उत्तर भारत में जनजातियों के कल्याण के बारे में लिखा है और लिविंग इन फेथ में एक लेखक हैं. उन्होंने 2011 में झारखंड, भारत में राजमहल हिल-रेंज के मालेर जनजाति, आज के पहाड़िया, की एक गाथा भी लिखी है. P. A. Chacko. S. J.ने डॉ पीटर पॉल हेम्ब्रम पर भी एक किताब लिखी है जिसका नाम “Palu Munda’s Trip to the Eternal City” है.
नहीं मिल पायी उपलब्धि
झारखण्ड के इतने प्रभावशाली और ज्ञानवान व्यक्ति को दुर्भाग्यवश ज्यादा ख्याति नहीं मिल पायी. यहाँ तक कि सरकार भी उनके योगदान को सम्मानदेने में विफल रही है.
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