उदित वाणी, रांची : झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक जेआरजी बैंक द्वारा अपनी रिकवरी प्रक्रियाओं की व्यापक समीक्षा शुरू की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके सभी एजेंटों की गतिविधियों नैतिक दिशा-निर्देशों और कानूनी मानकों के अनुरूप हो. जेआरजी बैंक के अध्यक्ष मदन मोहन बरियार ने शुक्रवार को पत्रकारों के साथ बातचीत में इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि रिकवरी एजेंसी का कोई प्रतिनिधि बैंक का कर्मचारी नहीं होता है और वह किसी भी देनदार से नगद राशि नहीं ले सकता है.
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों रिकवरी एजेंसी सीगुल के प्रतिनिधि धनराज चौधरी ने बैंक के ऑक्शन के माध्यम से खरीदी गई एक ट्रैक्टर की डिलीवरी के एवज में रूपये मांगा था और सीबीआई द्वारा एजेंसी के उस प्रतिनिधि को गिरफतार कर लिया गया. इसके बाद चौधरी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के बाद अब उनकी सेवा भी समाप्त कर दी गई है. उन्होंने कहा कि साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समीक्षा की जा रही है. उन्होंने बताया इसके बाद बैंक अपने एजेंटों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए काम कर रहा है.
इन कार्यक्रमों में नैतिक व्यवहार, कानूनी अनुपालन और स्पष्ट संचार पर जोर दिया जाएगा. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी एजेंट पूरी ईमानदारी के साथ कार्य करें. बैंक के अध्यक्ष ने कहा कि हम अपने ग्राहकों को यह आश्वस्त करना चाहते हैं कि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति नहीं हो. इसके लिए पहले से ज्यादा सजगता से कार्य किये जायेंगे. हमारी टीम पेशेवर तरीके से ग्राहक संतुष्टि को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
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