उदित वाणी, रांची: झारखंड में राष्ट्रीय राजमार्ग (हाईवे), रेलवे ओवरब्रिज और सड़क निर्माण परियोजनाओं में आ रही रुकावटों को तत्काल दूर करने के लिए मुख्य सचिव अलका तिवारी ने जिलों के उपायुक्तों को निर्देशित किया है. मंगलवार को आयोजित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, वन स्वीकृति और विधि-व्यवस्था से जुड़ी समस्याओं का समाधान समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित किया जाए.
रुकावटें बढ़ा रहीं लागत और समय
मुख्य सचिव ने चिंता व्यक्त की कि छोटी-छोटी बाधाएं परियोजनाओं में देरी का कारण बन रही हैं, जिससे उनकी लागत में अनावश्यक वृद्धि हो रही है. उन्होंने कहा कि यह न केवल राज्य के संसाधनों का नुकसान है, बल्कि नई परियोजनाओं की स्वीकृति में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है. यदि जिला स्तर पर अधिक ध्यान दिया जाए, तो इन समस्याओं का त्वरित समाधान संभव है.
38,483 करोड़ की परियोजनाएं अधर में
समीक्षा बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की 38,483 करोड़ रुपये की योजनाएं चल रही हैं. इसके अतिरिक्त, रेलवे ओवरब्रिज और राज्य सरकार की हजारों किलोमीटर लंबी सड़क विस्तार व चौड़ीकरण परियोजनाएं भी अधूरी पड़ी हैं. इन परियोजनाओं में देरी से केंद्र से नई योजनाओं की स्वीकृति मिलना कठिन हो गया है, जिससे राज्य को बड़ा नुकसान हो रहा है.
भूमि अधिग्रहण बनी बड़ी चुनौती
परियोजनाओं में सबसे बड़ी बाधाएं भूमि अधिग्रहण, मुआवजा वितरण और वन स्वीकृति से जुड़ी हैं. मुख्य सचिव ने उपायुक्तों को निर्देश दिया कि इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कार्यों को प्राथमिकता दी जाए और अनावश्यक बाधाएं उत्पन्न करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो. सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय बनाकर योजनाओं को समय पर पूरा करने का भी आदेश दिया गया.
समयसीमा का पालन अनिवार्य
बैठक में पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार, राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव चंद्रशेखर, एनएचएआई, वन विभाग के अधिकारी और सभी जिलों के उपायुक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए. मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समयसीमा का कड़ाई से पालन हो और समाधान के लिए समय में वृद्धि की अनुमति नहीं दी जाएगी.
नए अवसरों की राह पर झारखंड?
राज्य में लंबित परियोजनाओं की स्थिति में सुधार से क्या झारखंड नई परियोजनाओं के लिए केंद्र का विश्वास जीत पाएगा? क्या उपायुक्त अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए समयसीमा का पालन सुनिश्चित कर पाएंगे? समय बताएगा कि राज्य विकास की इस दौड़ में कितनी तेजी से आगे बढ़ता है.
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