उदित वाणी,कांड्रा: चांडिल प्रखंड क्षेत्र के गांगुडीह फुटवॉल मैंदान में रविवार को संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन चांडिल अनुमंडल के बैनर तले विशाल आदिवासी आक्रोश जनसभा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम से पहले आदिवासी समाज ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर स्वतंत्रता सेनानी बीर शहीद सिदो कान्हू,तिलका मांझी बिरसा मुंडा,रघुनाथ सिंह ,बुद्धू भगत तेंलगा खड़िया को श्रद्धांजलि दी गई।आक्रोश जनसभा में चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के अलावा बोड़ाम,पटमदा, गम्हरिया,घाटशीला,सरायकेला,राजनगर,कुचाई,खरसावां तथा पुरूलिया, बांकुड़ा,बाघमुंडी झाड़ग्राम,व कोलकाता आदि क्षेत्र से करीब 50000 हजार की संख्या में आदिवासी समाज के महिला, पुरूष,बुजुर्ग नजवान पारंपरिक वेशभूषा और पारंपरिक औजार के साथ लोग आक्रोश जनसभा में शामिल हुए।
आदिवासी समुदाय ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए आक्रोश रैली निकालकर जनसभा तक पहुंचे।आक्रोश जनसभा में आदिवासीयों समाज के आगुवाओं ने हुंकार भरी और कुड़मी को एस.टी.सूची का दर्जा देने की मांग का विरोध किया। आक्रोश जनसभा को सरायकेला जिप सदस्य लक्ष्मी सरदार पातकोम दिशोम पारगाना रामेश्वर बेसरा, सुधीर किस्कू, श्यामल मार्डी,मानिक सिंह सरदार श्याम सरदार आदि ने संबोधित किया।मौके पर आदिवासी जन परिषद के लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कुड़मी समुदाय अपने को क्षत्रिय बंशज मानते हैं।अब आदिवासी बनने के लिए कई तरह के हथकंडा अपना रहे हैं।कुड़मी अपने को आज भी ऊंची जाति के मानते हैं।दुर्भाग्य है कि सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में आज भी जात पात छुआ छुत बरकरार है।महतो जाति की कुएं से आदिवासी व दलितों को पानी भरने नहीं दिया जाता है।उन्होंने कहा आदिवासी समाज के विधायक व सांसद अगर कुड़मी को एसटी में शामिल करने का समर्थन करती है, तो आदिवासी समाज उन विधायक व सांसदों का सामाजिक बहिष्कार करेगा। संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन द्वारा उन्होंने आक्रोश जनसभा में आए लोगों से अपील किया कि आदिवासी लोग अपने परंपरा भाषा संस्कृति को बचाए रखे।साथ ही अपने समाज की पारंपरिक पूजा पाठ में पंडितों द्वारा पूजा नहीं कराएं तभी आदिवासी समाज बचेगा।
आदिवासी जन परिषद के प्रेमशाही मुंडा ने आक्रोश जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कुड़मीयों द्वारा आदिवासीयों के हक और अधिकार छीनने का प्रयास कर रहे हैं।उन्होंने कहा कुड़मीयों द्वार आदिवासी समाज के वीर शहीदों को अपना बताकर इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है। कहा केन्द्र सरकार अगर कुड़मी समुदाय को एसटी में शामिल करती है तो मूल आदिवासीयों का हक और अधिकारों व राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर कुड़मीयों का कब्जा होगा।पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कही कुड़मी लोगों का नजर अब आदिवासीयों की जमीन जायदाद पर टिकी है।साथ ही आदिवासीयों की संवैधानिक पद वार्ड सदस्य मुखिया,पंसस,से लेकर एमएलए व एमपी को हाईजेक करने की मंशा है।जिसे आदिवासी समाज कतई बरदाश्त नहीं करेगा।मौके परपुर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, लक्ष्मीनारायण मुण्डा,प्रेमशाही मुण्डा, समाजिक कार्यकर्ता सुधीर किस्कू, पारगाना रामेश्वर बेसरा, श्यामल मार्डी, रामदास टूडू, सोनाराम मार्डी,कपुर बागी,चुआड़ सेना मनिक सिंह सरदार, श्याम सिंह सरदार, बोनु सिंह सरदार,बाबु राम सोरेन, कोल्हान आदिवासी एकता मंच यदुनाथ तियु ,डोमन बास्के, प्रकाश मार्डी, सुदामा हेम्ब्रम, रविन्द्र सिंह सरदार,हरेकृष्णा सरदार, पशुपति सिंह मुण्डा, पं बंगाल सुमित हेम्ब्रम,आदि उपस्थित थे
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