उदित वाणी, रांची: हेमंत सोरेन गुरूवार को राज्य के 14 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. मुख्यमंत्री के रूप में यह उनका चौथा कार्यकाल होगा. मोराहाबादी मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार अपराहन 4 बजे उन्हें मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ दिलायेंगे.
हेमंत सोरेन अकेले ही अपने पद की शपथ लेंगे. अब हेमंत सोरेन द्वारा राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद मंत्रिपरिषद का विस्तार किया जाएगा.
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के विधायकों में मंत्री पद को लेकर चल रही रस्साकशी की वजह से मुख्यमंत्री के साथ मंत्रियों के शपथ लेने का मामला टला. हालांकि यह भी बताया गया कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा भी अपने झामुमो कोटे के मंत्रियों का नाम तय नहीं किया गया है और इंडी गठबंधन में सहयोगी भाकपा माले द्वारा भी अबतक सरकार में शमिल होने या न होने पर फैसला नहीं लिया गया है. माले द्वारा इसके लिए 29 नवंबर को बैठक आहूत किया गया है.
इसके अलावा सियासी जगत में जोरदार चर्चा शुरू हो गई है कि झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) से एकमात्र चुने गये पार्टी सुप्रीमो जयराम महतो को भी सरकार में शामिल कराने का प्रयास किया जा रहा है. बताया गया कि जयराम महतो को स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग दिये जाने की पेशकश की गई है. लेकिन जयराम महतो ने भी अबतक मामले में फैसला नहीं लिया है.
लेकिन सबसे बड़ी वजह कांग्रेस को लेकर ही है. कांग्रेस पार्टी आपसी खींचतान को लेकर अभी तक संभावित मंत्रियों के नाम तय नहीं कर पाई है. यहां तक की पार्टी ने विधायक दल का नेता तक तय नहीं किया है. जबकि मंत्री पद हासिल करने को लेकर रामेश्वर उरांव, ममता देवी व श्वेता सिंह को छोड़कर प्रायः सभी विधायक पार्टी के दिल्ली दरबार में जोरदार तरीके से लॉबीइंग करने में जुटे हैं और पार्टी हाईकमान के समक्ष असमंजस की स्थिति है.
ज्ञात हो कि राज्य विधानसभा के लिए कांग्रेस के 16 विधायक निर्वाचित हुए हैं और कांग्रेस को हेमंत कैबिनेट में 4 विधायकों को मंत्री पद मिलने की संभावना है. लिहाजा कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने ही खुलासा किया कि मंत्रिमंडल का विस्तार मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन के बहुमत साबित करने के बाद किया जायेगा.
अगले सप्ताह विधानसभा के दो दिनों का बिशेष सत्र आहूत करके हेमंत सोरेन बहुमत साबित करेंगे. इससे पूर्व राज्यपाल सरकार द्वारा प्रस्तावित किसी वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर के पद पर नियुक्त करेंगे.
विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान विधायकों को शपथ दिलायी जायेगी. इसके बाद स्पीकर का चुनाव होगा. उसके बाद हेमंत सोरेन बहुमत साबित करेंगे.
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