उदित वाणी, जमशेदपुर : सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लक्ष्य का लक्ष्य रखा गया.इसके लिए सरकारी स्कूलों की रैंकिंग की जाएगी. जी हां, शैक्षणिक गुणवत्ता व गैर शैक्षणिक गतिविधियों के प्रदर्शन के आधार पर सरकारी स्कूलों का मूल्यांकन करते हुए उनकी ग्रेडिंग की जाएगी. इसी आधार पर स्कूलों के सर्टिफिकेशन का कार्य शुरू होगा. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी ) ने राज्य भर में स्कूल सर्टिफिकेशन योजना की शुरुआत की है. इस योजना के पहले चरण में 5 मई से 8 मई 2025 तक विद्यालयों का मूल्यांकन किया जाएगा. इस सर्टिफिकेशन में 80 सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस, 325 प्रखंडस्तरीय आदर्श विद्यालय और 345 पीएम श्री विद्यालय शामिल किए गए हैं.
इसके तहत स्कूलों को तीन श्रेणियों क्रमश: गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज प्रमाणित किया जाएगा. इस प्रदर्शन के आधार पर ही स्कूलों को अनुदान के साथ ही अलग-अलग योजनाओं के लिए चयनित किया जाएगा. शिक्षकों के प्रमोशन में भी इसको देखा जाएगा.
स्कूल का मूल्यांकन 1000 अंकों के फ्रेमवर्क पर आधारित होगा. इसमें 600 अंक छात्रों के सीखने के परिणामों पर आधारित होंगे, जिससे उनकी शैक्षणिक प्रगति का वास्तविक मूल्यांकन किया जा सकेगा. वहीं 400 अंक विद्यालय के बुनियादी ढांचे, सुरक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, सामुदायिक भागीदारी और विद्यालय प्रबंधन जैसे पहलुओं पर आधारित होंगे.
इसे लेकर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी कर इस पर काम शुरू करने को कहा है. सर्टिफिकेशन को लेकर एसआेपी जल्द जारी की जाएगी.
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के मुताबिक गोल्ड श्रेणी में आने वाले विद्यालय दूसरे स्कूलों के लिए मिसाल बनेंगे और शेष विद्यालय उनसे प्रेरणा लेंगे.
यह होगा मानक
कांस्य का सर्टिफिकेट उन्हीं स्कूलों को मिल सकेगा, जिन स्कूलों में कक्षा दो के 75 फीसद छात्र अक्षर पहचानते हों. कक्षा तीन से पांच के 90 फीसद बच्चे कक्षा एक तथा कक्षा छह से नौ के 90 फीसद बच्चे कक्षा दो की दक्षता रखते हों.
वहीं सिल्वर के लिए सर्टिफिकेट उन्हीं स्कूलों को मिल सकेगा, जिनमें कक्षा एक से दो के 90 फीसद बच्चे अक्षर पहचानते हों. कक्षा तीन से पांच के 75 फीसद बच्चे कक्षा दो तथा कक्षा छह से नौ के 75 फीसद बच्चे कक्षा पांच की दक्षता रखते हों. जबकि स्वर्ण के लिए सर्टिफिकेट उन्हीं स्कूलों को मिल सकेगा, जो स्कूल सिल्वर के लिए सभी मानक पूरा करते हों तथा सभी कक्षाओं में 75 फीसद बच्चे अपने ग्रेड के स्तर में दक्षता रखते हों.
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