उदित वाणी, जमशेदपुर: दृष्टिबाधित बच्चों के लिए पढ़ने और लिखने की लिपि “ब्रेल” के आविष्कारक लुई ब्रेल का जन्मदिन दिव्य ज्योति नेत्रहीन विद्यालय, शास्त्री नगर, कदमा में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर लुई ब्रेल की जीवनी पर विस्तार से चर्चा की गई और दृष्टिबाधित बच्चों के लिए खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियाँ आयोजित की गईं.
कार्यक्रम में लुई ब्रेल के अद्वितीय योगदान को सराहा गया, जिन्होंने दृष्टिहीन लोगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाए. 4 जनवरी 1809 को फ्रांस में जन्मे लुई ब्रेल ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया, जिससे उन्होंने शिक्षा, संचार और व्यक्तित्व विकास में एक नई दिशा प्रदान की. आज भी ब्रेल लिपि विश्वभर में दृष्टिहीन लोगों के लिए शिक्षा का मुख्य साधन बनी हुई है.
प्रेरणा देने वाली बातें
कार्यक्रम के दौरान पूरबी घोष और मधु सिंह ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए और बच्चों को हौसला बढ़ाते हुए कहा कि जीवन में किसी भी परिस्थिति में हार मानने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने बच्चों से अपने आत्मविश्वास को बनाए रखने और हर मुश्किल का सामना साहस से करने की अपील की.
समाज में समावेश की आवश्यकता
मुख्य अतिथि के रूप में लायंस इंटरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट चेयरपर्सन, डिस्ट्रिक्ट 322A, एम जे एफ लायंस, पूरबी घोष और अतिथि के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिवम् कला संस्था की फाउंडर मधु सिंह, और दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता अजीत कुमार उपस्थित थे. उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज के हर वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने की जिम्मेदारी सभी नागरिकों की है. उनके अनुसार, उचित सहयोग और वातावरण मिलने पर दिव्यांगजन भी समाज की मुख्यधारा में सशक्त भूमिका निभा सकते हैं.
विद्यालय की मुश्किलें और समाज से सहयोग की अपील
विद्यालय की सचिव रीमा भट्टाचार्य ने बताया कि विद्यालय को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे संचालन में कई कठिनाइयाँ आ रही हैं. उन्होंने समाज के सभी वर्गों से विद्यालय के संचालन में सहयोग की अपील की, ताकि दृष्टिहीन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके.
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