उदित वाणी, जमशेदपुर: पिछले एक सप्ताह से प्रकृति विहार कदमा में चल रहे जोहार हाट का समापन सोमवार को हो गया. अंतिम दिन गुलाल मेकिंग पर कार्यशाला आयोजित की गई.
होली को देखते हुए कलाकारों समेत हाट में आए दर्शक भी इस कार्यशाला में भाग लिए और हर्बल गुलाल बनाने के गुर सीखे. उल्लेखनीय है कि इस प्रदर्शनी का उदघाटन 14 फरवरी को हुआ था. टाटा स्टील फाउंडेशन ने जनजातीय कला को प्रोत्साहित करने के लिए हर माह प्रकृति विहार कदमा में जोहार हाट लगाने का फैसला किया है.
इसी फैसले के तहत यह दूसरा आयोजन था. अब मार्च के दूसरे सप्ताह के बाद यह आयोजन होगा. इस प्रदर्शनी के माध्यम से पूरे भारत के जनजातियों की कला, शिल्प, व्यंजन और संस्कृति को प्रदर्शित किया जाता है.
इस माह हाट में 8 स्टॉल लगे, जिसमें 5 राज्यों के प्रतिभागी 11 से अधिक जनजातियों ने भाग लिया. भाग लेने वाले संगठनों में संथाल और भूमिज जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रगति उद्योग महिला समिति, बोडो जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली सबाई घास, गोंड जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली बांस और तुम्बा शिल्प कला, रेंगमा जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली मेसर्स वीविंग एंड निटिंग, संथाल और सौरा जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली अकाख्यसा जनजातीय उत्पादक समूह, उरांव जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाला लुगा, महली जनजाति का प्रतिनिधित्व करने वाली आजीविका मां सरस्वती समूह और लोढ़ा, मुंडा और संथाल जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाली मंडी एडप्पा शगुन महिला समिति शामिल थे.
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