उदित वाणी, जमशेदपुर : ट्राइबल इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से शनिवार को ट्राइबल कल्चर सेंटर सोनारी में आदिवासी उद्यमिता पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में आदिवासी वेंडरों के अलावा नेशनल एससी एसटी हब, एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार, रांची कार्यालय के प्रमुख विनोद कुमार एवं टिक्की के राष्ट्रीय महासचिव, बसंत तिर्की भी उपस्थित थे.
बैठक में टाटा ग्रुप एवं सहयोगी कंपनी के प्रति आदिवासी वेंडरों में क्रोध एवं निराशा देखी गयी. वही आदिवासी वेंडरों द्वारा टाटा ग्रुप एवं सहयोगी कंपनी के अधिकारियों द्वारा आदिवासी उधमिता को शिथिल करने एवं नजरअंदाज करने का आरोप भी लगाया गया. बैठक को संबोधित करते हुए टिक्की के प्रदेश अध्यक्ष वैद्यनाथ मांडी ने कहा कि टाटा कंपनी एवं सहयोगी कंपनियां एफर्मेटिव एक्शन के नाम पर आदिवासी युवाओं के साथ छल कर रही है और उनको धोखा देने का काम कर रही है.
मात्र दो – चार आदिवासी वेंडरों को पिछले 10 वर्षों से विशेष लाभ पहुंचाकर एफर्मेटिव एक्शन का अवार्ड ले रही है. छोटे-छोटे कार्य में रिवर्स ऑक्शन की प्रक्रिया लाई जा रही है और वेंडर काम को हासिल करने के लिए एक स्तर से नीचे जाकर बीड करता है और आगे चलकर असफल हो जाता है. मांडी ने कहा कि सभी कंपनियों द्वारा कार्य एवं खरीद से पहले मूल्य आंकलन किया जाता है और कंपनी के अधिकारियों को मालूम होता है कि यह काम कितने मूल्य का होगा.
इसके बावजूद वेंडरों का शोषण किया जा रहा है. आज राज्य के आदिवासी युवाओं को राज्य सरकार से भी कोई अपेक्षा नहीं है. राज्य सरकार भी आदिवासी उधमिता के सभी दावों पर फेल हो चुकी है. जिस रफ्तार से आदिवासी युवाओं में उद्यमिता के प्रति जोश भरा गया था, उन्हें प्रेरित किया गया था परंतु राज्य सरकार अपनी सभी योजनाओं पर खरा नहीं उतरी है और फेल हो चुकी है. मसलन वर्तमान सरकार ने आदिवासी उद्यमिता के लिए कुछ नहीं किया है.
टाटा एवं सहयोगी कंपनियां में लगभग एक लाख वेंडर होंगे, उनमें से 99.9 फीसदी वेंडर बाहरी है एवं गैर आदिवासी है.
बैठक में मुख्य रूप से गोमिया सुंडी, राज मार्शल मारड़ी, सुरेंद्र मुर्मू, सुरेंद्र टुडू, सुखराम टूडू, रंजन मारड़ी, जोसेफ कार्डिर,
शेखर करवा, विवेक मींज, अमित सुरेन, अमित हेंब्रम, विलकन, प्रदीप मुंडा उपस्थित थे.
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