the_ad id="18180"]
उदित वाणी, जमशेदपुर : इंटरनेट और मोबाइल के इस दौर में पुस्तकें हाशिये पर पहुंच गई हैं. विशेषकर बच्चों में पढ़ने की आदत कम होती जा रही है, क्योंकि उनका स्क्रीन टाइमिंग बढ़ गया है. इससे बच्चों की एकाग्रता के साथ ही कल्पनाशीलता भी खत्म हो रही है. लोयोला स्कूल में शिक्षिका रही केटी नारियलवाला बताती हैं कि पैरेन्ट्स को अपने बच्चों में छोटी उम्र से कोर्स के इतर पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. उन्हें पुस्तक मेला में ले जाना चाहिए और विभिन्न तरक की पुस्तकों से रूबरू कराना चाहिए.
- फिक्सन बुक्स-बच्चों को फिक्सन की किताबें मसलन उपन्यास (नोबल) को पढ़ने के लिए देना चाहिए. इससे उनकी कल्पनाशीलता बढ़ती है और उनकी सोच को विस्तार मिलता है.
- नन फिक्सन बुक्स- नन फिक्सन किताबें मसलन कहानियां वगैरह से बच्चों को मोटिवेशन के साथ ही जीवन जीने के तरीके पता चलते हैं.
- मिस्टिरियस बुक्स- ऐसी किताबें बच्चों में रिजनिंग और उनके लॉजिकल स्किल को बढ़ाती हैं.
- कॉमिक्स- कॉमिक्स की पुस्तकें बच्चों के साथ ही बड़ों को भी पढ़नी चाहिए. मसलन स्पाइडरमैन सरीखी पुस्तकों से कल्पनाशीलता और सृजनशीलता को विस्तार मिलता है.
- फेरी टेल्स- फेरी टेल्स की पुस्तकें बच्चों के व्यक्तित्व को गढ़ने में सहायक होती है.
- बायोग्राफी- महान लोगों की जीवनियों को पढ़ने से आगे बढ़ने में प्रेरणा मिलती है. भारत ही नहीं दुनिया के महान व्यक्तित्व की जीवनी बच्चों की जिंदगी को बदल देती है.
- मोरल स्टोरीज- मोरल स्टोरी की पुस्तकें बच्चों में नैतिकता की मजबूत नींव डालने में सहायक होती है. इससे बच्चों के व्यक्तित्व में निखार आता है. कोशिश करनी चाहिए कि यह कहानियों पिक्टोरियल हो.
- क्लासिक बुक्स- आज के बच्चे क्लासिक्स पढ़ना छोड़ दिए हैं. पैरेन्ट्स भी ऐसी पुस्तकें नहीं खरीदते. कुछ ई बुक्स के रूप में पढ़ते हैं, जो सही नहीं है. ई बुक्स के पढने से आंखों पर जोर पड़ता हैं. स्क्रिन की चमक आंखों की रोशनी कम कर रही है. ऐसे में कोशिश करनी चाहिए कि पेपर बुक्स पढ़ें. चार्ल्स डिकेन्स, पंचतंत्र और रस्किन बांड की पुस्तकें पढ़ सकते हैं.
- स्प्रिच्युअल बुक्स- बच्चों में छोटी उम्र से ही स्प्रिच्युअल बुक्स को पढ़ने की आदत डालनी चाहिए. मसलन रामायण, महाभारत, गीता, वेद और उपनिषद को सरल भाषा में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. अब तो मालगुड़ी डेज की कहानियां मिलती नहीं. ऐसी पुस्तकों को पढाने के लिए स्कूल और पैरेन्ट्स को प्रोत्साहित करना चाहिए.
- एक्टिविटी बेस्ड मैथ- मैथ जैसे कठिन और दुरूह विषय के पढ़ाने के तरीके में बदलाव जरूरी है. इसके लिए बच्चों को वैसी पुस्तकें पढ़ने के लिए देनी चाहिए, जो पिक्टोरियल हो. इससे बच्चों की समझ बढ़ती है. टेस्ट सीरिज होने चाहिए, ताकि मेंटल एबिलिटी बढ़े. मॉडल बनाने के साथ ही गणितज्ञों की जीवनियों को पढ़ने से यह विषय आसान हो जाता है.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।
Advertisement
<