उदित वाणी रांची: राज्यसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी झामुमो व कांग्रेस के बीच दरार काफी बढ़ गई है. झामुमो ने राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने को लेकर कड़ा तेवर दिखाया है. पार्टी कांग्रेस के समक्ष झुकने को तैयार नहीं है. पार्टी के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भटटाचार्य ने शुक्रवार को मीडिया के साथ बातचीत में साफ कर दिया कि झामुमो राज्यसभा में प्रत्याशी उतारेगा. उन्होंने यह भी साफ किया कि पार्टी द्वारा शनिवार को विधायक दल की बैठक बुलाया गया है. मुख्यमंत्री आवास में होनेवाले उक्त बैठक में प्रत्याशी का चयन कर लिया जायेगा. यही नहीं भटटाचार्य ने कांग्रेस को पिछले राज्यसभा चुनाव की भी याद दिलायी और कहा कि पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अधिकारिक प्रत्याशी क्यों दिया. उन्होंने कहा कि पिछले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी दिए जाने की वजह से भाजपा के दीपक प्रकाश ने सबसे ज्यादा 31 वोट हासिल करके राज्यसभा चुनाव जीता. जबकि गुरूजी जैसे शख्सियत झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को 30 वोट ही मिले. यह गुरूजी की प्रतिष्ठा पर गहरा चोट है. उन्होंने कहा कि गुरूजी की प्रतिष्ठा के साथ खिलवा? करनेवाले को सबक सिखाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमें गठबंधन धर्म के नाम पर डिडेक्ट करने का काम न करे. कांग्रेस आंख दिखाकर राज्यसभा सीट की याचना न करे. याचक कभी भी निर्वाचक नहीं हो सकता है. भटटाचार्य ने कहा कि जनता ने झामुमो को जो जनादेश दिया है. पार्टी उसका सम्मान करेगी. झामुमो इस राज्यसभा चुनाव के लिए भी अपना उम्मीदवार देगा. पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा शनिवार को विधायक दल की बैठक में मुहर लगेगी. भटटाचार्य यहीं नहीं रूके उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय पर्टियां ही देश में भाजपा का मुकाबला कर रही है. कांग्रेस यह न समझे कि उनकी पार्टी मजबूत होगी तभी देश में विपक्ष मजबूत होगा.
गठबंधन की गांठ खोलनेवाली बयानबाजी से बचे झामुमो-कांग्रेस
इधर झामुमो के कड़े तेवर को देखते हुए कांग्रेस सकते में आ गई है. कांग्रेेस के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद व राकेश सिन्हा ने सुप्रियो भटटाचार्य के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस न तो किसी को आँख दिखा रही है और न याचना कर रही है. उन्होंने कहा कि गठबंधन हमेशा सहमति के आधार पर ही कामयाब होती है. निर्देशों पर नहीं हमारा गठबंधन चुनाव पूर्व हुआ है. जनता का जनादेश गठबंधन को मिला था. इसका सम्मान होना चाहिए. झामुमो को गठबंधन की गांठ खोलने वाली बयानबाजी से बचना चाहिए. राजीव रंजन ने कहा कि जहां तक पिछले राज्यसभा चुनाव का सवाल है, तो उसमें याद होना चाहिए कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी की मौजूदगी में आयोजित बैठक में आपसी सहमति के आधार पर दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया गया था. गुरुजी झारखण्ड के सर्वमान्य नेता हैं. इसमें किसी को संशय नहीं होना चाहिए.
दोनों सीटों में प्रत्याशी उतारने को लेकर झामुमो-कांग्रेस में चल रही है जिच
दरअसल झामुमो व कांग्रेस के बीच दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतारने को लेकर तल्खी बढ़ी है. झामुमो चाहता है कि इस बार भी राज्यसभा की दोनों सीटों पर गठबंधन दलों का प्रत्याशी उतारा जाय और इस बार भी कांग्रेस दूसरी सीट के लिए ही चुनाव लड़े तथा कांग्रेस दूसरी सीट के लिए निर्दलीय व छोटे दलों का समर्थन जुटाए. लेकिन कांग्रेस निर्दलीय व छोटे दलों के विधायकों का समर्थन जुटाने को लेकर पहले से ही पस्त नजर आने लगी है. कांग्रेस को भरोसा ही नहीं है कि वह उन विधायकों का समर्थन जुटा सकती है. इसलिए कांग्रेस गठबंधन दलों से एक ही उम्मीदवार उतारने की वकालत लगातार कर रही है.
रास प्रत्याशी को लेकर भी चर्चायें तेज
इधर राज्यसभा प्रत्याशी को लेकर पक्ष-विपक्ष के दलों में चर्चायें जोर पकडऩे लगी है और एक दो दिनों में ही तस्वीर साफ होने की उम्मीद है. राजनीतिक हलकों में चर्चा में बताया गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को झामुमो राज्यसभा में उतार सकता है. वैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भटटाचार्य भी राज्यसभा के प्रबल दावेदार हैं. लिहाजा झामुमो द्वारा शनिवार को ही प्रत्याशी का खुलासा कर दिया जायेगा. वहीं भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का नाम चर्चा में है. बताया गया है कि दिल्ली दरबार में रघुवर का गोटी सेट है. वहीं कांग्रेस को मौका मिला, तो कांग्रेस में पूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय व डा अजय कुमार का नाम चर्चा में है.
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