उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील के एविएशन विभाग में पायलट कैप्टन जयेश मनुभाई जायसवाल ने अपनी मां के निधन के बाद देहदान करने का फैसला किया है. उन्होंने एमजीएम मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में अपनी मां का देहदान किया है. कैप्टन जयेश मनुभाई की मां सुशीला बेन का निधन 30 अक्टूबर को हुआ था. उन्होंने तत्काल अपनी मां के शरीर को दान करने का फैसला लिया. बकौल जयेश मनुभाई, टीएमएच में इलाज के दौरान मां का निधन गत 30 अक्टूबर को हो गया. मैंने तत्काल अपने भाई-बहनों से बात कर मां का देहदान एमजीएम मेडिकल कॉलेज को करने का फैसला लिया. 2 नवम्बर तक देहदान की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई. मूल रूप से मैं गुजरात के बड़ोदरा का रहने वाला हूं और पिछले 8 साल से टाटा स्टील के एविएशन विभाग में पायलट हूं. दो साल पहले मेरे ससुर ने भी अपना देहदान किया था.
मरने के बाद भी काम आ सके
जीते जी हम किसी के काम तो आते ही है, मरने के बाद भी किसी के काम आ सके तो इससे बेहतर बात और क्या हो सकती है. मुझे लगता है कि इससे आत्मा की शांति मिलती है. भारत जैसे देश में देहदान आसान नहीं है क्योंकि अभी भी हम कई तरह की सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं से घिरे हैं. बकौल कर्नल जयेश, जब तक खुद में देहदान को लेकर संकल्प नहीं होगा, तब तक यह संभव नहीं है. मैंने एक कोशिश की है, क्योंकि शरीर के जलने या दफन होने से बेहतर है कि उसका मानव हित में उपयोग हो सके. यह सब उस समय सही था, जब मेडिकल साइंस इतना विकसित नहीं था. आज देहदान से किसी को जिंदगी मिल सकती है. हम ईश्वर तो नहीं है, लेकिन देहदान कर ईश्वर के पुत्र होने का कर्ज अदा कर सकते हैं.
कब करना चाहिए
मृत्यु के उपरांत देह का दान अधिकतम 15 घंटे के अन्दर किया जा सकता है. अगर किसी कारणवश विलम्ब होता है तो मृत देह को बर्फ में सुरक्षित रखें, जिससे मृत देह खराब न हो. यही प्रक्रिया अधिक गर्मी में भी अपनाएं जिससे मृत देह परीक्षण हेतु सुरक्षित रहे.
क्यों जरूरी
समाज को कुशल चिकित्सक देने हेतु उसको मानव शरीर रचना का पूरा ज्ञान होना आवश्यक है. जो मृत शरीर पर परीक्षण द्वारा ही संभव है. इस हेतु देहदान (मृत्यु उपरान्त संपूर्ण शरीर का दान) अत्यन्त महत्वपूर्ण है.
देहदान कौन कर सकता है?
देहदान प्राकृतिक मृत्यु के उपरांत किसी भी धर्म या जाति के वयस्क सदस्य द्वारा किया जा सकता है. देहदान का संकल्प 18 वर्ष के उपरांत कभी भी किया जा सकता है.
देहदान की क्या है अहर्ताएं
देहदान करने वाला का खुद का और परिजनों का संकल्प बेहद जरूरी है. इसके लिए संकल्पकर्ता की दो फोटो, स्वयं की फोटो-पहचान पत्र की छायाप्रति, स्थायी निवास से संबंधित प्रमाण-पत्र की छायाप्रति, दो गवाहों की सहमति, जो संकल्पकर्ता के निकटतम परिजन हों, गवाहों के फोटो, फोटो पहचान-पत्र एवं स्थायी निवास संबंधित प्रमाण-पत्र की छायाप्रति जरूरी है. देहदान हेतु संकल्प पत्र चिकित्सा महाविद्यालय के शरीर रचना विभाग, एनाटॉमी विभाग से प्राप्त किया जा सकता है. संकल्प पत्र वेब साइट http://donatelifeindia.org पर है.
- संजय प्रसाद
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।