उदित वाणी, जमशेदपुर: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के बाद स्थिति सामान्य होने पर घरेलू उपभोग व्यय पर दो महत्वपूर्ण सर्वेक्षण किए हैं. पहला सर्वेक्षण अगस्त 2022 से जुलाई 2023 तक किया गया था और इसके परिणाम फरवरी 2024 में फैक्टशीट के रूप में जारी किए गए. इसके बाद, सर्वेक्षण की विस्तृत रिपोर्ट और इकाई स्तर के डेटा जून 2024 में जारी हुए. दूसरा सर्वेक्षण अगस्त 2023 से जुलाई 2024 के बीच किया गया है, जिसका सारांश परिणाम भी फैक्टशीट के रूप में जारी किया गया है. इस सर्वेक्षण की जानकारी मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
सर्वेक्षण का उद्देश्य और महत्व
यह सर्वेक्षण घरेलू उपभोग और व्यय के बारे में जानकारी एकत्र करता है, जिससे आर्थिक कल्याण में रुझानों का आकलन किया जा सके. इसके माध्यम से उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं का विश्लेषण किया जाता है, साथ ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना के लिए आवश्यक डेटा प्रदान किया जाता है. यह डेटा गरीबी, असमानता और सामाजिक अपवर्जन को मापने के लिए भी उपयोगी होता है. मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) इस सर्वेक्षण का प्राथमिक संकेतक है.
2023-24 के सर्वेक्षण के निष्कर्ष
2023-24 में, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में औसत एमपीसीई क्रमशः 4,122 रुपये और 6,996 रुपये रहने का अनुमान है, जिसमें सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राप्त नि:शुल्क वस्तुएं शामिल नहीं हैं. अगर इन वस्तुओं के मूल्य को शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा क्रमशः 4,247 रुपये और 7,078 रुपये हो जाता है. 2022-23 के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में एमपीसीई में 8% और ग्रामीण क्षेत्रों में 9% की वृद्धि देखी गई है.
एमपीसीई के अनुसार, 2023-24 में औसत व्यय में वृद्धि मुख्य रूप से निचली 5-10 प्रतिशत आबादी में अधिक रही है, जो सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लाभार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है.
खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च
2023-24 में, घरेलू औसत मासिक व्यय में गैर-खाद्य वस्तुओं का योगदान महत्वपूर्ण रहेगा. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इन वस्तुओं की हिस्सेदारी क्रमशः 53% और 60% रहने का अनुमान है. परिवहन, कपड़े, बिस्तर, जूते, मनोरंजन और टिकाऊ वस्तुएं इन व्ययों के प्रमुख घटक होंगे. शहरी क्षेत्रों में किराया भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहेगा, जो लगभग 7% होगा.
विभिन्न क्षेत्रों में असमानता और राज्यवार भिन्नताएँ
सर्वेक्षण के अनुसार, उपभोग असमानता में कमी आई है. 2022-23 के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में गिनी गुणांक 0.266 से घटकर 0.237 हो गया है, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 0.314 से घटकर 0.284 हो गया है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी एमपीसीई में भिन्नताएँ हैं. सिक्किम में एमपीसीई सबसे अधिक (ग्रामीण – 9,377 रुपये और शहरी – 13,927 रुपये) है, जबकि छत्तीसगढ़ में यह सबसे कम (ग्रामीण – 2,739 रुपये और शहरी – 4,927 रुपये) है.
सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का प्रभाव
सर्वेक्षण में यह भी देखा गया कि सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राप्त नि:शुल्क वस्तुओं का व्यय एमपीसीई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उदाहरण स्वरूप, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) जैसी योजनाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जिनका कोई नगद व्यय नहीं होता. हालांकि, इन सेवाओं के व्यय का आकलन सर्वेक्षण में शामिल नहीं किया गया है.
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