उदित वाणी, जमशेदपुर: आज, 20 दिसंबर 2024 को आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय आठवें श्रीनाथ अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव का भव्य उद्घाटन किया गया. इस महोत्सव की शुरुआत मुख्य अतिथि इचागढ़ की विधायक सविता महतो, संस्थापक शंभू महतो, संध्या महतो, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो, जीएडीए के निदेशक दिनेश रंजन, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सलाहकार कौशिक मिश्रा, वक्ता सदानंद शाही, प्रभाकर सिंह और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. एस एन सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई.
मुख्य अतिथि का संदेश
मुख्य अतिथि सविता महतो ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को बधाई देते हुए कहा, “हमारे क्षेत्र में हिंदी को समर्पित इस अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन एक गर्व की बात है और हम सभी इसका हिस्सा बनकर प्रसन्न हैं.” दिनेश रंजन ने अपने वक्तव्य में कहा कि भाषा, विशेष रूप से हिंदी, न केवल भाषाविदों के बीच एकता लाती है, बल्कि यह हमारे सम्मान, अभिमान और पहचान का प्रतीक भी है. पूर्व कुलपति डॉ. गोविंद महतो ने हिंदी को शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भारत को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण धागा बताया और इसे वैज्ञानिक भाषा के रूप में भी प्रस्तुत किया. अतिथि आस्तिक महतो ने कहा, “श्रीनाथ विश्वविद्यालय हिंदी भाषा के लिए जो कार्य कर रहा है, वह हम सभी का कर्तव्य है. हमें भी इस काम को आगे बढ़ाना चाहिए.”
चिंतन-मनन सत्र
महोत्सव के पहले दिन दो सत्रों में चिंतन मनन किया गया. पहले सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय की कुमुद शर्मा, अरुणाचल प्रदेश से मोरजूम लोई और यूनाइटेड किंगडम से दिव्या माथुर ने हिस्सा लिया.
कुमुद शर्मा से जब पूछा गया कि आज और पहले के लेखकों में क्या अंतर है, तो उन्होंने कहा कि आज के लेखकों को पहले जितना समर्थन नहीं मिलता था, जबकि अब उन्हें प्रकाशकों से ज्यादा ध्यान मिल रहा है. मोरजूम लोई से पूछा गया कि उन्होंने भोजपुरी भाषा को अपने शोध का विषय क्यों चुना, तो उन्होंने बताया कि उनकी भोजपुरी में गहरी रुचि थी, और कुछ लोक गायकों से प्रभावित होकर उन्होंने इस पर शोध किया.
हिंदी के अवसर और चुनौतियां
दिव्या माथुर से जब पूछा गया कि लंदन में हिंदी भाषा को लेकर क्या राय है, तो उन्होंने बताया कि वहां के लोग हिंदी और भारतीय संस्कृति को बहुत पसंद करते हैं और हिंदी के माध्यम से रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हैं.
आज के युवा और किताबें
सदानंद शाही ने कहा कि आज का युवा किताबों से दूर नहीं हो रहा है, बल्कि वह तकनीकी रूप से ज्यादा जागरूक हो चुका है. वह बहुत तेजी से आगे बढ़ने के लिए तैयार है और नए-नए उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है.
कुलाधिपति का दृष्टिकोण
कुलाधिपति श्री सुखदेव महतो ने कहा, “श्रीनाथ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह महोत्सव हिंदी भाषा के लिए एक छोटा सा प्रयास है. हमारा उद्देश्य विद्वानों को एक मंच पर लाकर विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगिताओं से जोड़ना है, ताकि उनका भाषा ज्ञान बढ़े और वे तकनीकी रूप से भी आगे बढ़ें.”
प्रतियोगिताओं का आयोजन
आज के दिन कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिनमें हास्य कवि सम्मेलन, व्यक्तित्व झांकी, मुद्दे हमारे विचार आपके, नुक्कड़ नाटक, मुखड़े पर मुखड़ा, और लिखो कहानी शामिल थीं.
प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी
महोत्सव के पहले दिन विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के प्रतिभागी जैसे आशु किस्कू रवि किस्कू मेमोरियल कॉलेज, अरका जैन विश्वविद्यालय, करीम सिटी कॉलेज, साइनाथ विश्वविद्यालय और जेकेएस कॉलेज के विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया.
आगामी कार्यक्रम
इस महोत्सव में कई प्रमुख अतिथि और विश्वविद्यालय प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. त्रिपुरा झा, डॉ. जूही समर्पित, डॉ. संध्या सिंह, और प्रभात खबर के संपादक संजय मिश्रा शामिल थे.
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