उदित वाणी रांची: ईडी (अर्थव्यवस्था अपराध शाखा) ने शराब घोटाले के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में झारखंड के वरिष्ठ आईएएस विनय चौबे और एक्साइज डिपार्टमेंट के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह के आवासों पर मंगलवार सुबह से छापेमारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही, दोनों अधिकारियों के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के ठिकानों पर भी जांच की जा रही है।यह मामला छत्तीसगढ़ और झारखंड दोनों राज्यों से जुड़ा हुआ है। पिछले महीने छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले में सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इनमें झारखंड के एक्साइज डिपार्टमेंट के तत्कालीन सचिव विनय चौबे और संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह शामिल हैं। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि इन अधिकारियों ने मिलकर झारखंड की शराब नीति में हेरफेर की और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।अन्य आरोपियों में छत्तीसगढ़ के पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, व्यवसायी अनवर ढेबर, छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, आईएएस अधिकारी निरंजन दास, अरविंद सिंह और नोएडा के व्यवसायी विधु गुप्ता शामिल हैं।यह एफआईआर रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि आरोपियों के एक सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के सहयोग से आबकारी नीति में बदलाव किया, ताकि शराब आपूर्ति के ठेके सिंडिकेट के सदस्यों को मिल सकें। आरोप है कि इस सिंडिकेट ने बिना हिसाब-किताब के घरेलू शराब को फर्जी होलोग्राम के साथ बेचा और कुछ विशेष कंपनियों को विदेशी शराब अवैध रूप से प्रदान कर करोड़ों रुपये की कमाई की।एफआईआर के अनुसार, विनय चौबे और गजेंद्र सिंह ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग से टेंडर के नियमों में संशोधन किया, जिससे ठेके सिर्फ सिंडिकेट को मिल सकें। इस पॉलिसी के कारण झारखंड सरकार के खजाने को 2022 से 2023 के बीच भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाने की साजिश रची गई।
इससे पहले, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले को लेकर ईडी की रायपुर इकाई ने अप्रैल 2023 में विनय चौबे और करण सत्यार्थी को तलब किया था और उनके बयान दर्ज किए थे।
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।