उदित वाणी, जमशेदपुर: सरकारी स्कूलों में चलाए जा रहे वोकेशनल कोर्स की अब ऑनलाइन मानिटरिंग की जाएगी. इसके लिए झारखंड के सरकारी स्कूलों में चल रही व्यावसायिक शिक्षा के लिए डैशबोर्ड लांच होगा.
गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र समेत कुछ अन्य राज्यों के बाद झारखंड में इसे लांच करने की तैयारी की जा रही है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने मॉड्यूल तैयार कर लिया है। इसी महीने इसे लांच किया जाएगा. वोकेशनल डैशबोर्ड में 14 मॉड्यूल तय किये गये हैं. इससे राज्य के स्कूलों में चल रहे वोकेशनल की पढ़ाई की ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो सकेगी.
वोकेशनल कोर्स के अंदर आने वाले सभी पारा मीटर को इसमें शामिल किया गया है. हर दिन स्कूल में कितने बच्चे आए, कितने ने लॉग इन किया सहित वोकेशनल ट्रेनर की बायोमेट्रिक हाजिरी की जानकारी मिल सकेगी.
बताते चलें कि झारखंड के 576 स्कूलों में वोकेशनल की पढ़ाई की स्वीकृति है, लेकिन वर्तमान में 446 स्कूलों में यह संचालित हो रहा है. इसके अलावा 38 स्कूल ऐसे हैं जहां वोकेशनल कोर्स से दूसरे स्कूलों को भी जोड़ा गया है. इधर, राज्य सरकार ने 193 स्कूलों में वोकेशनल लैब के सामान उपलब्ध करा दिये हैं.
अब स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को इसे सुसज्जित करना है. इसके अलावा वोकेशनल के लिए फंड भी दे दिये गये हैं. शिक्षा विभाग उस फंड का स्कूलों में उपयोग करवाएगा.
नौ नवंबर से 13 दिसंबर तक ट्रेनिंग
व्यावसायिक शिक्षा को दुरुस्त व सुचारू रूप से चलाने के लिए वोकेशनल ट्रेनर से लेकर अधिकारियों तक की ट्रेनिंग होगी. इसकी शुरुआत नौ नवंबर से होने जा रही है. नौ नवंबर को सभी एडीपीओ और एपीओ की ट्रेनिंग होगी.
उन्हें वेब व मोबाइल एप, पोर्टल के बारे में जानकारी दी जाएगी. इसके बाद 10 से 18 नवंबर तक वोकेशनल क्लास संचालित करने वाले स्कूलों के प्रधानाध्यापकों का प्रशिक्षण होगा. वहीं, 21 नवंबर से 13 दिसंबर तक राज्य के सभी वोकेशनल ट्रेनर का प्रशिक्षण होगा.
स्कूलों को अपलोड करना होगा छात्रों का डेटा
समाज कल्याण विभाग की ओर से स्कूली छात्रों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति के लिए अब स्कूलों को विद्यार्थियों का डेटा ऑनलाइन अपलोड करना होगा. पहले स्कूलों की ओर से हार्ड कॉपी में डेटा कल्याण विभाग को दिया जाता था.
वहीं से डेटा अपलोड किया जाता था. यह पहली बार है जब यह जिम्मेवारी शिक्षकों को सौंपी गई है. कल्याण विभाग की ओर से राज्य स्थापना दिवस पर 15 नवंबर को छात्रों को उनके खाते में छात्रवृत्ति की राशि दी जाएगी. वर्तमान में स्कूलों को डाटा अपलोड करने में काफी परेशानी हो रही है.
शिक्षकों ने बताया कि स्कूलों के रिकॉर्ड और आधार कार्ड में कई विद्यार्थियों या अभिभावकों के नाम में कुछ बदलाव है. ऐसे में सिस्टम उसे रिजेक्ट कर देता है. स्कूलों में नेटवर्क की समस्या भी है.
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