उदित वाणी जमशेदपुर : झारखंड के कई मजदूर नेताओं का नक्सलियों से संपर्क-संबंध होने के संकेत मिलने के साथ ही श्रम क्षेत्र के साथ -साथ कारपोरेट जगत में भी हडक़ंप मच गया है. इन मजदूर नेताों के समर्थन-मदद पाकर नक्सली संगठन अपने को झारखंड-बिहार में मजबूत करने में जुटे हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी एनआइए के ऐसे संकेत मिलने के बाद जांच तेज कर दी गई है.
एनआइए की अलग- अलग टीमों ने मंगलवार को झारखंड में रांची के मोरहाबादी सरायटांड़, बोकारो, धनबाद, गिरिडीह और रामगढ़ के कुछ स्थानों में छापेमारी की थी. इसके अलावा बिहार के औरंगाबाद, गया और खगडय़िा के छह स्थानों में छापेमारी की गयी थी. जहां से डीवीडी डिस्क, संगठन से जुड़े संदिग्ध दस्तावेज बरामद किये गये थे. इसके बाद एनआइए ने संबंधित लोगों का मोबाइल फोन जांच के लिए जब्त कर लिया था और बैंक डिटेल भी.
दोनों राज्यों के कुल 14 स्थानों पर हुई छापेमारी में बरामद दस्तावेज की एनआइए ने समीक्षा शुरू कर दी है. आरंभिक समीक्षा के दौरान एनआइए के अधिकारियों को इस बात के संकेत मिले हैं कि कुछ मजदूर नेताओं के लिंक भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के शीर्ष नेताओं से रहे हैं. जिसमें सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो मेंबर भी शामिल हैं.जिनकी मंशा शीर्ष नक्सलियों को समर्थन कर झारखंड और बिहार में झारखंड को फिर से मजबूत करने और नक्सलियों की विचारधारा को प्रचारित करने की थी. दस्तावेज की समीक्षा पूरी होने के बाद कुछ नेताओं की परेशानी बढ़ सकती है.
एनआइए के अधिकारी जब्त किए गए मोबाइल की जांच कर रहे हैं, ताकि यह स्थापित हो सके कि कौन नेता किसके संपर्क में रहा था और कौन किस नक्सली के लिए काम करता था.
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