उदित वाणी, जमशेदपुर: वर्ष 2024, भारत में विकलांगता समावेशन के संदर्भ में एक अभूतपूर्व वर्ष साबित हुआ. यह वर्ष दिव्यांगजनों के लिए एक समावेशी और न्यायसंगत समाज की दिशा में महत्वपूर्ण कदमों का प्रतीक था. सरकार और विभिन्न हितधारकों द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण और समाज में उनकी पूर्ण भागीदारी की दिशा में कई नए आयाम स्थापित किए गए.
सुगम्य भारत अभियान: एक समावेशी राष्ट्र की दिशा में 9 वर्ष
सुगम्य भारत अभियान की यात्रा ने भारत में विकलांगता समावेशन की दिशा में एक लंबा रास्ता तय किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई इस पहल ने विकलांगजनों को समान अधिकार और अवसर देने में अहम भूमिका निभाई है. इस अभियान ने सार्वजनिक स्थानों, परिवहन प्रणालियों और दिव्यांगजनों के अधिकारों के प्रति जागरूकता को बढ़ाया और उन्हें विकास की प्रक्रिया में समान भागीदार बनाया.
पहुंच और सूचना की सुलभता
विकलांगता सूचना लाइन (डीआईएल): भारत में विकलांगता से संबंधित जानकारियों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए विकलांगता सूचना लाइन (डीआईएल) का शुभारंभ किया गया. यह सेवा टोल-फ्री नंबर 1800222014 के माध्यम से 21 विकलांगताओं से संबंधित जानकारी प्रदान करती है.
नेशनल हेल्पलाइन: दिव्यांगजनों के लिए एक केंद्रीकृत हेल्पलाइन नंबर 14456 लॉन्च किया गया है, जो सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है.
अभिगम्यता मानक: भौतिक और डिजिटल कौशल प्रशिक्षण के लिए नए अभिगम्यता मानकों की घोषणा की गई. इसके माध्यम से समावेशी और सुलभ प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा.
कौशल विकास और रोजगार के अवसर
रोजगार कौशल पाठ्यक्रम: दिव्यांगजनों के लिए 70 घंटे का एक विशेष रोजगार कौशल पाठ्यक्रम तैयार किया गया, जो उन्हें नौकरी प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करेगा.
टीओटी कार्यक्रम: विकलांग व्यक्तियों के लिए रोजगार कौशल पर कई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनका उद्देश्य समग्र कौशल विकास था.
कौशल वृद्धि: बधिर समुदाय के लिए मुफ्त और सुलभ कौशल प्रशिक्षण के उद्देश्य से, विभिन्न संगठनों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए.
बुनियादी ढाँचे और पुनर्वास में सुधार
पुनर्वास सेवाओं का विस्तार: विकलांग व्यक्तियों के लिए पुनर्वास सेवाओं में वृद्धि करते हुए, देशभर में 35 नए जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) खोले गए.
सहायक प्रौद्योगिकी का विकास: पुनर्वास और सहायक प्रौद्योगिकी के डिजाइन और विकास में सहयोग बढ़ाया गया है.
समावेशिता और जागरूकता के प्रयास
पर्पल फेस्ट 2024: राष्ट्रपति भवन में 10,000 से अधिक दिव्यांगजन और उनके सहायकजनों ने एक ऐतिहासिक उत्सव में भाग लिया, जिसमें विकलांगता-संवेदनशील भाषा पर एक हैंडबुक और ‘इंडिया न्यूरोडायवर्सिटी प्लेटफॉर्म’ लॉन्च किया गया.
दिव्य कला मेला: दिव्यांगजनों के लिए आयोजित इस मेले में 1,000 से अधिक कारीगरों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, और इस आयोजन में 3.5 करोड़ रुपये की बिक्री देखी गई.
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: 10,000 दिव्यांगजनों ने सामूहिक योग प्रदर्शन में भाग लिया, जो समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने का एक प्रयास था.
विकलांगता पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम
राष्ट्रीय दिवस और विशेष दिवस: वर्षभर विभिन्न विकलांगता विशिष्ट दिवसों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए. उदाहरण के तौर पर, विश्व ब्रेल दिवस (4 जनवरी), विश्व कुष्ठ दिवस (जनवरी का अंतिम रविवार), अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (फरवरी का दूसरा सोमवार), और विश्व व्हीलचेयर दिवस (1 मार्च) जैसे कार्यक्रमों ने समाज में समावेशिता की भावना को बढ़ावा दिया.
नवाचार के माध्यम से विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना: 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस के अवसर पर इस वर्ष की थीम ‘नवाचार के माध्यम से विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना’ के तहत कई कार्यक्रम आयोजित किए गए.
समाप्ति: समावेशन के प्रयासों की निरंतरता
वर्ष 2024 में किए गए सभी प्रयासों ने दिव्यांगजनों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है. सरकारी योजनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, और जागरूकता अभियानों के माध्यम से विकलांग व्यक्तियों के लिए एक समावेशी समाज की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. यह समावेशिता और सशक्तिकरण की यात्रा आने वाले वर्षों में और तेज़ी से आगे बढ़ेगी.
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