उदित वाणी, जमशेदपुर: करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ व्याख्यानमाला के तहत हिन्दी विभाग की ओर से रासबिहारी बोस, खुदीराम बोस और सुचेता कृपलानी पर केंद्रित व्याख्यान आयोजित हुआ. रासबिहारी बोस पर बोलते हुए सुप्रसिद्ध कहानीकार, कवि, व्यंग्यकार और ट्रेड यूनियनिस्ट अरविंद विद्रोही ने कहा कि बंगाल से ही क्रांति की लहर उठी और पूरे देश में फैली.
रासबिहारी बोस ऐसे ही क्रांतिकारी थे, जिन्होंने बंगाल विभाजन का विरोध किया और वायसराय लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना बनायी. श्री विद्रोही ने कहा कि लगभग 100 वर्ष तक लगातार संघर्ष और शहादत के बाद हमें अंग्रेजों से आजादी मिली. जिन लोगों ने टू नेशन थियरी दिया, उन्होंने उस राष्ट्र का बहुत नुकसान किया, जिसके लिए हजारों लोगों ने अपना जीवन अर्पित कर दिया, अपनी शहादतें दीं.
कहा कि भारत विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं का देश है, इनके मेलजोल से ही राष्ट्रीय एकता मजबूत हो सकती है. खुदीराम पर बोलते हुए समाजसेवी सुनील कुमार साहू ने विस्तार से उनके जीवन प्रसंगों की चर्चा की और कहा कि युवा का मतलब ही शक्ति होता है.
सुचेता कृपलानी पर बोलते हुए बांग्ला विभाग की अध्यक्ष प्रो. संचिता भुई सेन ने कहा कि गुलामी का दर्द वही समझ सकता है, जिसने उसे भोगा हो. स्त्रियां जो बाहर संघर्ष में शामिल रहती हैं, उन्हें तो याद रखा जाता है, पर वे घरों के अंदर रहकर भी संघर्ष के सहयोग में रहती हैं.
कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के डॉ. सुधीर कुमार, स्वागत भाषण हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. पुरुषोत्तम प्रसाद और धन्यवाद ज्ञापन उर्दू विभाग की अध्यक्ष डॉ. शबनम परवीन ने किया. इस मौके पर प्रो. विनय कुमार गुप्ता, डॉ. मौसूमी पॉल, प्रो. विनोद कुमार, प्रो. अजय वर्मा, प्रो. विजय प्रकाश, प्रो. पी.के. गुप्ता, प्रो. अरविंद कुमार पंडित, प्रो. रीतू, बाबूराम सोरेन, डॉ. रानी और प्रो. मोहन साहू मौजूद थे.
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