उदित वाणी जमशेदपुर : चक्रधरपुर मंडल सुरक्षा संरक्षा विभाग द्वारा चाईबासा में ट्रेन दुर्घटना के बाद की स्थिति का आकलन करने हेतु एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस ड्रिल के माध्यम से रेलवे ने सुरक्षा और बचाव कार्यों की तत्परता का परीक्षण किया।
इस मॉक ड्रिल के दौरान नवंबर 00817 टाटानगर-क्योझर सुपरफास्ट एक्सप्रेस की दुर्घटना का दृश्य तैयार किया गया था। दुर्घटना में दो बोगियाँ, स्लीपर एस-वन और एसी कोच बी-वन, आपस में टकराकर एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गई थीं।
इस स्थिति में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए रेल, सिविल डिफेंस, एनडीआरएफ, आरपीएफ, सेंट जॉन एम्बुलेंस, और स्काउट की टीमें राहत कार्य में जुटीं। एनडीआरएफ की टीम ने स्लीपर कोच की खिड़कियाँ काटकर यात्रियों को बाहर निकाला।
चक्रधरपुर मंडल रेल प्रबंधक, आर.जे. राठौड़, ने घटनास्थल पर पहुँचकर रेस्क्यू कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने सभी राहत और बचाव दलों का उत्साहवर्धन किया और इस प्रकार की आपदाओं में एकजुट होकर कार्य करने की प्रेरणा दी।
मॉक ड्रिल कार्यक्रम में सिविल डिफेंस और एनडीआरएफ के 30-30 जवान, सेंट जॉन एम्बुलेंस के 12 सदस्य, स्काउट के 10 सदस्य, और मेडिकल टीम के 16 सदस्य उपस्थित थे।
दुर्घटना स्थल पर चक्रधरपुर मंडल रेल प्रबंधक, वरिष्ठ सुरक्षा संरक्षण अधिकारी, वरिष्ठ अभियंत्रण अभियंता, चक्रधरपुर रेलवे अस्पताल एवं टाटानगर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, और उप मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजू महंता के साथ सिविल डिफेंस के इंस्पेक्टर संतोष कुमार मौजूद रहे।
मॉक ड्रिल में एसी कोच बी-वन से 12 और स्लीपर कोच से 8 यात्रियों को घायल अवस्था में निकाला गया, जबकि तीन यात्रियों को मृत घोषित किया गया। इस घटना का सचित्र चित्रण चक्रधरपुर स्टेशन और डोगवापोशी में सुबह 10:06 बजे तीन हूटर बजाकर शुरू किया गया।
सूचना पाते ही सभी टीमें तत्परता से घटनास्थल पर पहुँचीं और दोपहर 2 बजे तक राहत कार्य पूरा किया गया। घटना स्थल पर एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ भी उपस्थित रहीं।
यह मॉक ड्रिल चक्रधरपुर मंडल की तैयारियों और तत्परता को दर्शाता है, जिससे वास्तविक आपदा के समय त्वरित और प्रभावी बचाव कार्य सुनिश्चित किया जा सके।
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