उदित वाणी, जमशेदपुर: डेढ़ घंटे तक दर्शक नाटक के सम्मोहन में बंधे रहे, काबुलीवाला रिटर्न के मंचन के साथ शुरू हुआ लोयोला का तीन दिवसीय प्लैटिनम जुबिली सेलिब्रेशन.
यह इत्तफाक ही है कि जिस वक्त देश में फिल्म पठान के परिधान के रंग को लेकर हंगामा मचा है, उस वक्त लोयोला स्कूल में एक पठान (काबुलीवाला), हिन्दुस्तान की संस्कृति के विविध रंग का संदेशवाहक बना. लोयोला स्कूल जमशेदपुर के प्लैटिनम जुबिली समारोह के तहत मंचित नाटक काबुलीवाला रिटर्न में भारत की विविधता (डायवर्सिटी) और बहुलवाद (प्लूरलिज्म) की सतरंगी झांकी दिखी.
लोयोला स्कूल के पांच सौ बच्चों की इस प्रस्तुति ने सबको सोचने पर मजबूर किया. देश-दुनिया से आए लोयोला स्कूल के पूर्व विद्यार्थियों के साथ ही पूर्व प्राचार्य भी बच्चों की इस प्रस्तुति को देख मंत्रमुग्ध थे और उन्होंने स्टैंडिंग ओरेशन दिया.
टैगोर की कहानी से इन्स्पायर
लोयोला स्कूल के शिक्षकों द्वारा लिखित और निर्देशित यह नाटक रवीन्द्र नाथ टैगोर की कहानी काबुलीवाला से इन्स्पायर है. वैसे इसमें प्रेमचंद की कहानी ईदगाह का रंग भी दिखता है.
चार साल पहले स्कूल के बच्चों ने काबुलीवाला पार्ट वन का मंचन किया था, जिसे काफी सराहा गया था. इसके बाद स्कूल के शिक्षकों ने इसका पार्ट टू काबुलीवाला रिटर्न बनाया, जिसमें काबुलीवाला एक बार फिर अपनी पत्नी और बेटी के साथ हिन्दुस्तान आता है और उस मिनी से मिलता है, जो अब बड़ी हो गई है.
काबुलीवाला की बेटी अमीना और मिनी का मिलन, एक दूसरे की संस्कृति का मिलन है, जो इंसानियत का संदेश दे जाता है.
काबुल से कोलकाता तक का सफर
काबुलीवाला की कहानी उसकी बेटी अमीना की शादी से शुरू होती है. अमीना की शादी के बाद उसका शौहर दुबई चला जाता है. इसी बीच काबुलीवाला फैसला करता है हिन्दुस्तान आने का, ताकि वह मिनी से मिल सके.
हिन्दुस्तान रिटर्न में उसके साथ पत्नी और बेटी भी होती है. जैसे ही तीनों हिन्दुस्तान की जमीं पर पैर रखती है, पंजाब की हरियाली और वहां की वैशाखी का रंग उन्हें मोह लेता है.
वे पंजाब से अजमेर शरीफ पहुंचते हैं, जहां का सूफियाना अंदाज उन्हें मुरीद बनाता है. वहीं पर काबुलीवाला के पुराने दोस्त जीतेश भाई मिलते हैं, जिनके सहयोग से वे गांधी के साबरमती आश्रम पहुंचते हैं और गुजरात के नवरात्र महोत्सव के रंग में सरोबार होते हैं. अभी गुजरात के गरबा का रंग उतरा भी नहीं होता है कि वे काशी की गंगा आरती का रूहानी नजारा देश अभिभूत हो उठते हैं.
काशी से उनकी जर्नी सारनाथ और पावापुरी जाती है, जहां वे भारत के प्राचीन धर्म बौद्ध और जैन धर्म से रूबरू होते हैं. कुछ देर के लिए बिहार के छठ का नजारा भी दिखता है.
उनके इस सफर का मुकाम कोलकाता होता है, जहां वे मिनी के परिवार से मिल पाते हैं. बांग्ला संस्कृति के साथ ही अंत में क्रिसमस का रंग दिखता है.
प्रेम और भाईचारा का संदेश
काबुलीवाला रिटर्न का संदेश यह है कि भारत की खूबसूरती इसकी विविधता में है. विभिन्न जाति, धर्म, मजहब और भाषा के इस देश को एक रंग में नहीं रंगा जा सकता है.
एक दूसरे की भाषा और रंग को आदर देना और पूरी दुनिया को एक परिवार मानना, हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है.
500 विद्यार्थियों की रही भागीदारी
इस मल्टी कल्चरल और मल्टी लिंग्यूअल परफॉर्मेंस में लोयोला के 500 बच्चों की भागीदारी रही. इसकी तैयारी छह माह से चल रही थी. इस म्यूजिकल परफॉर्मेंस में छह भाषाओं का इस्तेमाल हुआ है. 6 साल से लेकर 17 साल के बच्चों ने इस परफॉर्मेंस में भाग लिया.
भारत की सतरंगी संस्कृति के सम्मोहन में खोये रहे दर्शक
इस म्यूजिकल ड्रामा का निर्देशन कमाल का था. डेढ़ घंटे तक दर्शक नाटक के सम्मोहन में बंधे रहे. यूं लगा कि हम भारत की रंग बिरंगी संस्कृति की सैर कर रहे हैं. बैकग्राउंड म्यूजिक और सिंगरों ने इस परफॉर्मेंस में जान डाल दिया.
काबुलीवाला का अभिनय काफी सशक्त था. यही नहीं स्टेज के डेकोरेशन के साथ ही लाइट और म्यूजिक इस नाटक को और ऊंचाई दे गये.
मील का पत्थर है 75 साल का सफर-फादर पायस
काबुलीवाला रिटर्न के साथ ही लोयोला स्कूल जमशेदपुर के तीन दिवसीय प्लैटिनम जुबिली समारोह का शुभारंभ हो गया. नाटक मंचन से पहले लोयोला स्कूल के प्रिंसिपल फादर पायस फर्नांडीस ने स्वागत भाषण दिया.
स्कूल के 75 साल के सफरनामे में 16 साल तक प्रिंसिपल रहे फादर पायस ने कहा कि लोयोला स्कूल के लिए 75 साल का सफर पूरा करना एक मील का पत्थर है. लेकिन हमें अभी मीलों दूर जाना है. उन्होंने बताया कि स्कूल की लोकप्रियता का आलम यह है कि केजी में 200 सीटों के लिए दो हजार से ज्यादा आवेदन आते हैं.
फेलिक्स टोप्पो ने पूर्व प्राचार्यों को सम्मानित किया
मौके पर आर्चबिशप फादर फेलिक्स टोप्पो ने लोयोला स्कूल के पूर्व प्राचार्यों को सम्मानित किया. सम्मानित होने वाले प्रिंसिपल के नाम हैं-फादर रॉकी वैज, फादर जोसेफ जराकुलम, फादर अगस्टीन, फादर ऑस्कर होरो, फादर अगस्टीन एजाकुन्नेल, फादर जॉर्ज, फादर जोसेफ कलाथूर, फादर एरिक कैसल, फादर विक्टर मिस्क्विथ, फादर सेबेस्टियन, फादर जॉर्ज थाना और डॉ.पिंकी मिधा.
बेली बोधनवाला, डॉ.आनंद प्रसाद, रणवीर सिन्हा, रोनाल्ड डिकोस्टा, डिक्की मोदी समेत लोयोला एल्युमनी एसोसिएशन के पूर्व सचिव डॉ.दिनेश उपाध्याय, डॉ.कैलाश दूबे, शरद सिंह, राजीव तलवार, प्रतीम बनर्जी, सावक रूस्तम पटेल, श्यामल मांझी, डॉ.ज्वॉय भादुरी, संदीप आमीन और महेन्द्र गुप्ता भी मौके पर सम्मानित किए गए.
मौके पर जमशेदपुर के पूर्व सांसद डॉ.अजय कुमार और कुणाल षाडंगी मौजूद थे.
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