उदित वाणीनई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने महत्वाकांक्षी स्पैडेक्स मिशन के तहत पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा कर रहे दो उपग्रहों के डॉकिंग परीक्षण को एक बार फिर स्थगित कर दिया है। यह मिशन भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
इसरो ने ट्वीट में बताया कि दो उपग्रहों के बीच अप्रत्याशित विचलन के कारण डॉकिंग को रोकने का निर्णय लिया गया। यह विचलन तब सामने आया जब दोनों उपग्रहों के बीच की दूरी को 225 मीटर तक कम करने का प्रयास किया जा रहा था।
डॉकिंग प्रक्रिया में संशोधन
इसरो ने पहले 7 जनवरी और फिर आज डॉकिंग परीक्षण की योजना बनाई थी, लेकिन अप्रत्याशित विचलन के कारण समय सीमा में बदलाव किया गया है। इसरो ने कहा है कि नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी। इन उपग्रहों को SDX01 (चेजर) और SDX02 (टार्गेट) के नाम से भी जाना जाता है।
उपग्रहों की स्थिति और संरचना
SDX01 और SDX02, जिनका वजन 220 किलोग्राम है, पूरी तरह सुरक्षित हैं और सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। इन्हें PSLV-C60 रॉकेट से 30 दिसंबर को पृथ्वी से 475 किलोमीटर की ऊंचाई पर इच्छित कक्षा में स्थापित किया गया था। डॉकिंग प्रक्रिया के लिए इन उपग्रहों के बीच जटिल कक्षीय कौशल की आवश्यकता है।
अंतरिक्ष में डॉकिंग के जटिल पहलू
इसरो के अनुसार, दोनों उपग्रहों के बीच अंतराल को कम करने के लिए ऑनबोर्ड प्रणोदन प्रणाली का उपयोग किया जाता है। एक अंतर-उपग्रह रेडियो फ्रिक्वेंसी लिंक सक्रिय कर दोनों उपग्रहों के बीच संचार स्थापित किया जाएगा। वास्तविक समय में आंकड़ों के आदान-प्रदान के बाद, नियंत्रित गति पर दोनों उपग्रहों का संयोजन संभव हो सकेगा।
भविष्य के अभियानों के लिए मील का पत्थर
इसरो ने बताया कि इस मिशन के लिए विकसित किए गए नए सेंसर उपग्रहों की डॉकिंग प्रक्रिया का मार्गदर्शन करेंगे। चेजर उपग्रह कुंडी और क्लैंप की मदद से लक्षित उपग्रह के पास जाएगा। यह तकनीक चंद्रयान-4 और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे मिशनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति
सैटेलाइट सर्विसिंग, मरम्मत, और स्पेस स्टेशन संचालन के लिए डॉकिंग तकनीक अनिवार्य है। अगर यह परीक्षण सफल होता है, तो भारत इस तकनीक को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
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