उदित वाणी, जमशेदपुर: रंगमंच को समाज का दर्पण माना जाता है और इसी सोच को जीवंत रूप देने हेतु पथ पीपुल्स एसोसिएशन फॉर थियेटर तथा सांस्कृतिक कार्य निदेशालय (पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, झारखंड सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में 21 दिवसीय निःशुल्क नाट्य कार्यशाला का आयोजन जारी है. चौथे दिन की कार्यशाला भी रचनात्मक ऊर्जा और गहन प्रशिक्षण से परिपूर्ण रही.
शांत मन, सजग अभिनेता
प्रथम सत्र में कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक मोहम्मद निजाम ने प्रतिभागियों को मानसिक एकाग्रता और आत्मिक शांति की दिशा में प्रशिक्षित किया. उन्होंने बताया कि एक अभिनेता की आत्मा जितनी शांत होगी, उसकी अभिव्यक्ति उतनी ही सशक्त होगी. प्रतिभागियों को ध्यान और एकाग्रता के लिए विभिन्न रचनात्मक गेम्स कराए गए, जिससे उनकी सजगता और प्रतिक्रिया क्षमता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया.
अनुभव और प्रयोग का समन्वय
द्वितीय सत्र में शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी रवि कांत मिश्र ने थियेटर की व्यावहारिक दुनिया से जुड़े अनुभव साझा किए. उन्होंने प्रतिभागियों को ‘थियेटर गेम्स’ के माध्यम से अभिनय के चार महत्वपूर्ण स्तंभ—अपनाना (Adoption), प्रतिक्रिया (Reaction), स्थानांतरण (Transportation) और सृजन (Creation)—से अवगत कराया. उन्होंने कहा, “एक सच्चा अभिनेता केवल संवाद नहीं बोलता, वह दृश्य को भीतर जीता है और मंच पर उसे पुनः रचता है. ”
दृष्टिकोण में आया बदलाव
सत्र के अंत में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि यह कार्यशाला न केवल अभिनय सिखा रही है, बल्कि जीवन को देखने का नया दृष्टिकोण भी दे रही है. कार्यशाला का प्रत्येक दिन उनके भीतर नई ऊर्जा, चेतना और रचनात्मकता का संचार कर रहा है.
आने वाले दिन होंगे और भी रचनात्मक
आगामी दिनों में इस कार्यशाला से देश-प्रदेश के कई वरिष्ठ रंगकर्मी जुड़ेंगे, जो युवाओं को रंगमंच के विविध आयामों पर मार्गदर्शन देंगे. इस पहल का उद्देश्य केवल अभिनय प्रशिक्षण नहीं, बल्कि युवाओं में सामाजिक चेतना, नेतृत्व क्षमता और कलात्मक सोच का विकास करना है.
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